Azim Premji: मां से प्रेरित होकर दान करते हैं कमाई का बड़ा हिस्सा, भारत की तीसरी बड़ी IT फर्म स्थापित करने वाले इस शख्स की कहानी दिल छू लेगी!



Wipro भारत की तीसरी बड़ी आईटी कंपनी है। 600 अरब प्रतिवर्ष आय के साथ ये कंपनी वो पिल्लर है जिसकी वजह से दुनियाभर में भारतीयों की आईटी के क्षेत्र में साख मजबूत हुई। लेकिन इस कंपनी की जड़ें वेजीटेबल ऑइल बनाने की कंपनी से जुड़ी हुई हैं। दरअसल इसकी शुरूआत 1966 में हुई जब एक 21 साल के युवा लड़के ने वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोडक्ट्स लिमिटेड (Wipro) विप्रो लि को एक फास्ट मूविंग कंस्यूमर गुड्स (FMCG) कंपनी के रूप में स्थापित किया। ये युवा थे दुनिया के बड़े कारोबारियों में शामिल भारत के अजीम हाशिम प्रेमजी, जिन्हें लोग अजीम प्रेमजी के नाम से जानते हैं। 24 जुलाई 2023 को भारत के ये बिजनेस टायकून 78 साल के हो जाएंगे। भारत के दिग्गज कारोबारी के अलावा भारत के परोपकारी (Philanthropists of India) के रूप में भी उनकी पहचान है। उनकी कई बातें हैं जो जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करती हैं उनके जन्मदिन पर उनसे जुड़ी कुछ विशेष बातें….

शुरूआती जीवन….

अजीम प्रेमजी की जड़ें ही व्यवसाय से जुड़ी थी। उनके उनके पिता मोहम्मद हाशिम प्रेमजी जाने-माने चावल कारोबारी थे। अभी के म्यांमार को तब बर्मा कहा जाता था। यहीं पर उनके दादा और पिता का कारोबार था। खास बात ये है कि उनके परिवार के बिजनेस के चलते उनकी पहचान राइस किंग ऑफर बर्मा (Rice King of Burma) के रूप में थी। बर्मा से भारत आकर उनका परिवार गुजरात में रहने लगा। गुजरात में भी उन्होंने चावल का कारोबार शुरू किया और धीरे-धीरे भारत के बड़े चावल कारोबारियों उनका नाम शामिल हो गया। अंग्रेजों की कुछ नीतियों के चलते उनके पिता को अपना चावल का कारोबार बंद करना पड़ा। 1945 जिसके बाद प्रेमजी के पिता ने 1945 में वनस्पति घी बनाने का शुरू किया और एक नई कंपनी बनाई जिसका नाम था- वेस्टर्न इंडियन वेजिटेबल प्रॉडक्ट्स लिमिडेट (Western Indian Vegetable Products Limited)। ये कंपनी वनस्पति तेल और कपड़े धोने वाला साबुन बनाती थी।

बीच में ही छोड़नी पड़ी पढ़ाई

अजीम प्रेमजी बड़े व्यवसायी के घर पैदा हुए थे, लिहाजा शिक्षा में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई। मुंबई में स्कूली शिक्षा लेने के बाद उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (Electrical Engineering) करने अमेरिका स्थित स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी (Stanford University) का रूख किया। लेकिन वर्ष 1966 में पिता की मृत्यु के बाद उन्हें पढ़ाई बीच छोड़नी पड़ी।

पिता के व्यवसाय को संभालने के साथ ही की wipro की स्थापना

21 साल की उम्र में अज़ीम प्रेमजी ने पिता की कंपनी की कमान खुद ही संभाली। एक समय आया जब कंपनी के कुछ शेयरहोल्डर ने ये कहते हुए उनका विरोध किया कि, “एक 21 साल का अनुभवहीन लड़का कंपनी कैसे संभाल पाएगा” अज़ीम प्रेमजी ने इसे एक चैलेंज के तौर पर लिया और कंपनी की कमाल को न सिर्फ बेहतरीन तरीके से चलाया बल्कि इसके बाद कई नई उपलब्धियां भी हासिल की।

1977 तक उनका कारोबार काफी फैल गया और अज़ीम प्रेमजी ने कंपनी का नाम बदलकर विप्रो (Wipro) कर दिया था। साल 1980 के आस-पास की बात है एक बड़ी आईटी कंपनी आईबीएम (IBM) भारत से कारोबार समेटकर जाने लगी तब अज़ीम प्रेमजी ने अपनी दूरदृष्टि से ये पहचान लिया कि उस क्षेत्र में आने वाले समय में काफी संभावनाएं हैं, और इस तरह wipro आईटी के क्षेत्र में उतरी। आज के समय में विप्रो की नेटवर्थ 3 लाख 46 हजार 537 करोड़ रुपये है। उन्होंने एक छोटी-सी कंपनी लाखों करोड़ की मल्टी नेशनल कॉर्पोरेशन (MNC) में बदल दिया।

प्रतिदिन 22 करोड़ रुपये करते हैं दान

अजीम प्रेम जी को भारत का परोपकारी (Philanthropists of India) कहते हैं। वे अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा शिक्षा और समाज को बेहतर दिशा देने के लिए खर्च करते हैं। उनके नाम पर आज कई फाउंडेशन हैं जिनकी सहायता से जरूरतमंद लोगों तक सहायता पहुंचाई जाती है। एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2022 में उन्होंने कुल 484 करोड़ रुपये का दान दिया था। साल 2011 में अजीम प्रेमजी को पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया था। अजीम प्रेमजी वो शख्स हैं जिनका जीवन किसी प्रेरणा से कम नहीं है।

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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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