
दुनिया में ऐसे कम ही लोग होते हैं जो दूसरों के लिए जीते हैं। उनमें से एक है 31 साल की अरुणिमा सिंह जो युवा हैं, महत्वाकांक्षी हैं और कुछ कर गुजरने की चाहत रखती हैं। लेकिन अरुणिमा आज के युवाओं की तरह किसी मल्टीनेशन कंपनी में काम नहीं करना चाहती हैं। बल्कि वह पिछले 8 सालों से लुप्त हो रही प्रजातियों को बचाने की दिशा में सराहनीय काम कर रही हैं। खासकर विलुप्त होते कछुओं के जीवन को बचाने के लिए अरुणिमा पूरी तरह से समर्पित हैं।
अरुणिमा कछुआ, मगरमच्छ और गंगा डॉल्फिन्स को बचाने की दिशा में काम कर रही हैं। अरुणिमा ने अब तक 28 हजार से ज्यादा कछुओं, 25 गंगा डॉलफिन, और कई मगरमच्छों, घड़ियालों को बचाने में सफल हो चुकी हैं।
मिल चुका है NatWest Group Earth Heroes save the Species Award 2021
अरुणिमा 50 हजार से ज्यादा स्कूली बच्चों, ग्रामीण और शहरी लोगों को फ्रेश वॉटर में रहने वाले जानवरों के संरक्षण के बारे में भी जागरूक कर चुकी हैं। वह इसकी ट्रेनिंग भी लोगों को देती हैं। उनके इस काम के लिए उन्हें इसी साल अक्टूबर में ‘नेटवेस्ट ग्रुप अर्थ हीरोज सेव द स्पीशीज अवार्ड 2021’ मिला था।
कौन हैं अरुणिमा सिंह?
अरुणिमा ने लखनऊ यूनिवर्सिटी से अपनी मास्टर्स की डिग्री पूरी की है। अरुणिमा ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में बताया कि वह 2012 में एक कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए लखनऊ के कुकरैल घड़ियाल रीहबिलटैशन सेंटर गईं जहां उन्हें एक वालंटियर के रूप में काम करने का मौका मिला। जो कि Turtle Survival Alliance (TSA) India Program का हिस्सा था। यहीं उन्होंने पहले गढ़ियाल के लिए काम किया और फिर उनकी दिलचस्पी कछुओं में भी बढ़ने लगी। 2013 से अरुणिमा इस ऑर्गेनाइजेशन के साथ बतौर रिसर्चर जुड़ी हैं और रेप्टाइल्स के लिए काम कर रही हैं।
अरुणिमा उत्तर प्रदेश वाइल्ड लाइफ और TSA के एक संयुक्त प्रोजेक्ट में काम करती हैं जो कि इंडिया प्रोग्राम फॉर एक्वेटिक बायोलॉजी के जरिए कछुओं की 10 से ज्यादा प्रजातियों के लिए एश्योरेंस कॉलोनियां बनाने के लिए काम करती है। इनमें से ज्यादातर प्रजातियां विलुप्त होने की राह पर हैं। यह अरुणिमा और उनकी टीम की कोशिशों का ही नतीजा है कि ‘चित्रा इंडिक’ नाम के छोटे सिर वाले कछुओं की प्रजातियों को बचा लिया गया है।
कछुओं, घड़ियालों और दूसरे रेप्टाइल्स के संरक्षण के अलावा अरुणिमा स्कूली बच्चों और बड़ों के लिए अवेयरनेस वर्कशॉप भी आयोजित करती हैं। जिसमें वे पानी में रहने वाले जानवरों और उनके नेचर के बारे में बताती हैं।
अरुणिमा अपने काम से बेहद खुश हैं वह कहती हैं कि उनका काम उन्हें प्रकृति से जोड़े रखता है जो उन्हें सुकून देता है। वाकई अरुणिमा सिंह एक जिंदादिल सिपाही हैं जो प्रकृति और प्राकृतिक जीवों के लिए समर्पित हैं।
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