Zero Emission: कार्बन न्यूट्रल बनने की राह पर केरल का एक गांव!

Zero Emission: वैसे तो केरल अपनी खूबसूरती के लिए वैश्विक स्तर पर जाना जाता है। लेकिन अब केरल की पहचान एक छोटे से गांव की उपलब्धि को लेकर भी होगी। ये गांव है वायनाड जिले का मीननगड़ी ग्राम पंचायत, जो साल 2024 तक पूरी तरह से कार्बन न्यूट्रल हो सकता है।

मीननगड़ी की कहानी

वायनाड जिले गांव मीननगड़ी कार्बन न्यूट्रल बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। वायनाड जिले के इस ग्राम पंचायत की अध्यक्षता जयाकुमार नाम के युवा कर रहे हैं। वे अपने इस महत्वाकांक्षी अभियान पर जोर शोर से लगे हुए हैं। उनका लक्ष्य है कि मीननगड़ी ग्राम पंचायत को साल 2024 तक कार्बन न्यूट्रल बनाया जाए। जयाकुमार इस बारे में ज्यादा बात नहीं करते हैं और चुपचाप काम करने में विश्वास करते हैं।

जयाकुमार और मीननगड़ी गांव

जयकुमार कहते हैं कि उन्होंने शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र के फ्रेमवर्क कन्वेंशन के हिसाब से काम करने की कोशशि की थी। उस संयुक्त राष्ट्र के क्लाइमेट चेंज फ्रेमवर्क पर काम करते हुए उनकी टीम ने यह महसूस किया कि पंचायत को साल 2024 तक 20000 टन ग्रीनहाउस गैस एमिशंस पर रोक लगाने की आश्यक्ता होगी। यही वजह है कि जयाकुमार की टीम ने जीरो वेस्ट समेत कई इनिशिएटिव पर काम करना शुरू किया।

Zero Emission प्रोग्राम

इस प्रोग्राम के तहत 180 टन प्लास्टिक और अन्य कचरे को इकट्ठा कर हटाया गया। हरित कर्म सेना नाम का एक ग्रुप बनाया गया जहां दो 2 महिलाओं को हर वार्ड में गीला कचरा और सूखा कचरा अलग करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसमें ग्राम पंचायत के 90 फीसदी घर कवर हुए।

हर घर पर सोलर रूफ, बायोगैस और स्मोकलेस चूल्हा जैसे इनिशिएटिव को बढ़ावा देने के लिए लोगों को जागरूक किया गया। ग्राम पंचायत को कार्बन न्यूट्रल बनाने की दिशा में काफी काम किया गया। राज्य सरकार ने जयाकुमार के इस अभियान को देखते हुए ट्री बैंकिंग स्कीम फाइनेंस की सुविधा दी। इसमें 3 साल के लिए पौधे दिए जाते हैं।

पौधों को जियो टैग कर इनका रिकॉर्ड रखा जाता है। फिलहाल यहां नया ट्री मॉर्टगेज स्कीम की शुरूआत हो रही है, जिसकी मंजूरी के बाद कार्बन इमिशन की दिशा में कार्य तेजी से होगा। इसके तहत अगर किसी व्यक्ति को तुरंत पैसा चाहिए तो वह पेड़ काटने की जगह उसे गिरवी रखकर लोन भी ले सकता है।

उस पेड़ की कीमत लगाकर उसका आधा पैसा पंचायत से तुरंत लोन दिया जाएगा। जिसे 1 साल की अवधि में वापस करना होता है। जयाकुमार कहते हैं कि अगले कुछ महीने में मीननगड़ी में कार्बन न्यूट्रल एक्सीलेटर लैब की स्थापना भी की जाएगी। जिससे गांव में कार्बन के एमिशन पर नजर रखा जाएगा।

जीरो एमिशन या कार्बन न्यूट्रल होने की दिशा में जयाकुमार का कार्य सराहनीय है। उनका यह कदम उन्हें एक लीडर और विजनरी की तरह पेश करता है। ग्रामीण समुदाय के लोगों को साथ लेकर अपने इलाके को कार्बन न्यूट्रल बनाने की उनकी यह पहल कई लोगों को प्रेरित कर रही है।

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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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