One nation one election: केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले वन नेशन,वन इलेक्शन” पर प्रस्ताव लाने की बात कही थी। चर्चा है कि सरकार संसद में इस पर विधेक लाने की तैयारी में है। वन नेशन वन इलेक्शन के जरिए सरकार देश में सभी चुनावों को एक साथ कराना चाहती है। आइए विस्तार से जानते हैं क्या है वन नेशन, विन इलेक्शन और यह कब तक लागू हो सकते है।
क्या है वन नेशन वन इलेक्शन?
वन नेशन वन इलेक्शन (one nation one election) का मतबल है देश में होने वाले सभी चुनाव एक साथ कराए जाएं। सरकार का कहना है लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव भी संपन्न होने चाहिए। साथ ही निगम चुनाव, नगर पालिका, नगर पंचायत और ग्राम पंचायतों के लिए होने वाले चुनाव भी साथ में कराए जाएं। सरकार का कहना है कि इन चुनावों को एक ही दिन या फिर किसी निश्चित समय सीमा में पूरा होना चाहिए।
वन नेशन, वन इलेक्श की क्यों है जरूरत?
अभी देश में लोकसभा चुनाव हर 5 साल में होते हैं। विधानसभा चुनाव अलग-अलग राज्यों में कार्यकाल पूरा होने के हिसाब से कराए जातेहैं। सरकार का का तर्क है कि इससे चुनाव पर होने वाले असीमित खर्च में कुछ कमी आएगी। एक साथ चुनाव होने से सरकारी विभागों को भी बार-बार डिस्टर्ब नहीं होना पड़ेगा। देश में होने वाले एक-एक चुनाव में सरकार के हजारों करोड़ रुपए खर्च होते हैं।
प्रशासन पर नहीं पड़ेगा प्रभाव
देश में बार-बार चुनाव का आयोजन होने से पूरी प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा जाती है। चुनाव के दौरान प्रशासनिक अधिकारी-कर्मचारियों की चुनाव ड्यूटी लगाई जाती है। जिससे उनके विभाग के कामकाज में फर्क पड़ता है। विभागों के कई काम चुनाव की वजह से रुक जाते हैं। चुनाव से पहले लगने वाली आचार संहिता के वजह से की लोक कल्याणकारी योजाओं पर भी रोक लगाना होता है। इससे देश के विकास की रफ्तार भी कम होती है।
करनी होगी कड़ी तैयारी
वन नेशन, वन इलेक्शन (one nation one election) को लागू करने से पहले सरकार को काफी तैयारी करनी होगी। विधानसभाओं के कार्यकाल को संतुलित करने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के साथ दूसरी संसदीय प्रक्रियाओं को भी संशोधित करना होगा। एक देश-एक चुनाव को लागू करना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। लेकिन इसके लागू होने से देश में चुनाव की प्रक्रिया व्यवस्थित हो जाएगी।