गुजरे हुए पिछले 2 साल काफी उतार-चढ़ाव भरे थे। कोविड के बाद लोगों ने न्यू नॉर्मल को अपनाना शुरू किया। लेकिन फिर से शुरूआत आसान नहीं थी। बिखरे हुए लोगों ने संभलने की राह देखी तो कोई किसी का संबल बना, किसी ने सफलता की नई परिभाषा गढ़ी तो किसी ने दूसरों के लिए खुद को समर्पित किया। साल 2022 संभावनाओं की तरफ देखने और नई कोशिशों के नाम रहा। बीते साल कई ऐसी घटनाएं घटी जिसने लोगों की जिंदगियों में positive change को जगह दी। जानते हैं ऐसी ही छोटी-छोटी कुछ प्रेरणादायी कहानियों के बारे में…
सीड मदर पद्मश्री राही बाई पोपरे
दुनिया जहां विकास की अंधाधुंध भीड़ में गांवों को खत्म कर रही है। ज्यादा उपज के लिए पेस्टीसाइड्स और हाइब्रिड खेती को अपना रही है वहीं राही बाई पोपरे दुनिया के बीजों के संरक्षण का संदेश दे रही हैं। पद्मश्री लेने नंगे पैर राष्ट्रपति भवन पहुंची राही बाई हर किसी के लिए एक प्रेरणा हैं। अहमदनगर जिले के अकोले आदिवासी ब्लॉक के कोम्बले गांव के महादेव कोली आदिवासी समुदाय से उनका संबंध है। राही बाई पोपरे को स्वदेशी बीजों के संरक्षण के लिए ‘सीड
मदर’ के रूप में पहचान मिली है। वे सैकड़ों देशी किस्मों के संरक्षण और किसानों को पारंपरिक फसल उगाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए प्रेरित करती उन्होंने जैविक खेती को एक नया मुकाम दिया है।
बस्तर की पहली महिला मैकेनिक आदिवासी महिलाओं के लिए बन रही प्रेरणा
बस्तर के सुदूर आदिवासी अंचल में एक छोटा सा गांव है रेटावंड, जहां पंचर बनाने की एक छोटी सी दुकान है। इस दुकान के मालिक हैं तुलेश्वर नाग, चूंकि जिला मुख्यालय जगदलपुर उनके गांव रेटावंड से काफी दूर है जिसकी वजह से जब भी उन्हें सामान लेने शहर जाना होता था। तुलेश्वर को दुकान बंद करनी पड़ती थी। इसकी वजह से उन्हें आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता था। तुलेश्वर की पत्नी हेमवती नाग ने अपने पति की सहायता करने के लिए मैकेनिक का काम सीखा। 2 सालों में हेमवती ने मैकेनिक के सभी काम सीखे और अब सभी तरह के मोटर व्हीकल वे बना लेती हैं, अकेले पूरी दुकान संभाल लेती हैं। कई अखबारों ने हेमवती का इंटरव्यू लिया, इस दौरान हेमवती ने कहा कि वे 8वीं तक ही पढ़ी थीं।
लेकिन कुछ करना चाहती थीं। यही वजह है कि उन्होंने मैकेनिक का काम सीखा और अब वे अपने पति की मदद कर पा रही हैं। सीखने और कुछ करने की चाह ने हेमवती को ‘बस्तर की पहली मैकेनिक’ होने का गौरव दिया। अब वे दूसरी महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बन रही हैं।
ब्यूटी विथ ब्रेन की कॉम्बिनेशन ‘ऐश्वर्या श्योराण’
ऐश्वर्या श्योराण को आज हर कोई जानता है। राजस्थान की ऐश्वर्या ने यूपीएससी की परीक्षा में 93वां स्थान हासिल किया वो अपने पहले ही प्रयास में। ऐश्वर्या लाखों लोगों की प्रेरणा इसलिए तो हैं ही कि उन्होंने अपनी मेहनत से सबसे कठिन प्रशासनिक सेवा में सफलता हासिल की है। लेकिन ऐश्वर्या उन लोगों के लिए भी एक बड़ी प्रेरणा हैं जो असफलता या हार से डरते हैं। ऐसा नहीं है कि ऐश्वर्या हारी नहीं, उन्होंने भी हार का सामना किया, असफल हुईं पर उन्होंने हार का सामना किया और असफलता से सीख लेकर आगे बढ़ीं। दरअसल ऐश्वर्या ने मॉडलिंग से शुरूआत की थी। साल 2014 में ऐश्वर्या दिल्ली की क्लीन एंड क्लियर फेस फ्रेश बनी और 2015 में मिस दिल्ली का खिताब जीता। बाद में ऐश्वर्या साल 2016 में फेमिना मिस इंडिया प्रतियोगिता का हिस्सा बनीं। इस दौरान ऐश्वर्या फेमिना मिस इंडिया 2016 में 21वीं फाइनलिस्ट भी रहीं, लेकिन यहां पर वे जीत नहीं सकी। पर ऐश्वर्या ने हार नहीं मानी और आगे बढ़ीं। आज ऐश्वर्या ब्यूटी विथ ब्रेन के नाम से जानी जाती हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि जिंदगी में जो भी करो उसे पूरी लगन और दिल से करो।