UPSC: संघ लोक सेवा आयोग ने इस साल की यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। 5 मार्च को फॉर्म भरने की आखिरी तारीख है और 26 मई 2024 को प्रीलिम्स की परीक्षाएं आयोजित होंगी। प्रीलिम्स में पास होने वाले अभ्यर्थी 20 सितंबर से मेंस की परीक्षा देंगे। जाहिर है अगर आप भी परीक्षा दे रहे हैं तो आपका ये समय रीविजन का होगा। परीक्षा की तैयारी के समय अक्सर हम कई बार निराश भी होते हैं। डरते भी हैं और परेशान भी होते हैं। तो अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा है तो इस कहानी को जरूर पढ़िए। ये 2 कहानी आपमें प्रेरणा का संचार करेगी।
मजदूर का बेटा बना IAS
पहले बात करते हैं मुंबई के डोंगरी इलाके में रहने वाले मोहम्मद हुसैन सैयद की। उन्होंने 27 साल की उम्र में 5वीं बार में सफलता हासिल की। डोंगरी की तंग गलियों से अपना सफर शुरू करने वाले सैय्यद अब दूसरों की जिंदगी में रोशनी भर रहे हैं। अपनी सफलता के बाद सैय्यद अपने इलाके के बच्चों को शिक्षा से जोड़ रहे हैं।
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हुसैन सैयद की पूरी कहानी
मुंबई की झुग्गी बस्ती से हुसैन सैय्यद संबंध रखते हैं। उनके पिता डोंगरी इलाके में एक मजदूर हैं। हुसैन एक चैनल को साक्षात्कार देते हुए कहते हैं कि, “मेरे पिता प्राइवेट ट्रांसपोर्ट में मजदूरी करते हैं। मुझे आगे बढ़ाने के परिवार ने काफी कुछ झेला। मेरा सफर आसान नहीं था। लोगों को शुरू में तो UPSC समझ ही नहीं आती थी। मेरे इलाके में न तो लाइब्रेरी थी और न ही संसाधन। पढ़ाई के दौरान कई सारी चीजें एक साथ होती थी, जो पढ़ाई में दिक्कत पैदा करती थी। पढ़ने के लिए जगह नहीं। कई बार पार्क में बैठकर पढ़ाई करता था। लेकिन पार्क के भी बंद होने के समय में पार्क से भगा दिया जाता था। आस-पास के लोग पूछते थे। परीक्षा कब है, कब सिलेक्ट होगे। ऐसे तमाम तरह के सवाल। मैं झूठ बोलकर टाल देता था। पूणे से तैयारी के दौरान मैं 3 बार फेल हुआ और चौथी बार में जब काफी मेहनत करने के बाद सफलता नहीं मिली तो पूरी तरह से टूट गया था। लेकिन परिवार ने हौसला बढ़ाया और मैंने फिर से परीक्षा दिया। मेरी मेहनत रंग लाई और मुझे UPSC में 570 वीं रैंक मिली।
पिता ने किया संघर्ष
हुसैन सैयद कहते हैं कि उनके पिता मजदूरी करके परिवार को पालते थे। उन्होंने काफी संघर्ष देखा लेकिन मेरी पढ़ाई को सपोर्ट किया। वो कहते हैं, मैंने तो तैयारी में 5 साल लगाए लेकिन लगाए लेकिन मेरे पिता ने हमारे लिए 27 साल मेहनत की है। सैय्यद आज अपने परिवार के साथ अपने क्षेत्र के भी हीरो हैं और वो अब कई जिंदगियों को बदलने का काम कर रहे हैं।
खेल छोड़ पढ़ाई का हाथ थामा
राजस्थान के सीकर के मनोज महरिया की भी कहानी काफी प्रेरणादायी है। दरअसल मनोज एक प्रोफेशनल क्रिकेटर थे। क्रिकेट के क्षेत्र में बेहतर कर रहे मनोज का सपना तब टूट गया। जब एक चोट ने उनसे उनका क्रिकेट छीन लिया। सपने के टूटने पर लोग टूट जाते हैं। मनोज के साथ भी ऐसा ही हुआ। लेकिन मनोज ने एक बार फिर से कोशिश करने की ठानी और पढ़ाई को अपना हथियार बनाया और UPSC की पढ़ाई शुरू कर दी।
सेल्फ स्टडी से हासिल किया मुकाम
मनोज महरिया कहते हैं कि उनकी राह आसान नहीं थी। वो कहते हैं कि अगर कुछ ठान लो तो सफलता मिल ही जाती है। UPSC की परीक्षा पास करने के लिए कोचिंग जरूरी नहीं है। सेल्फ स्टडी इस परीक्षा में सफलता हासिल की जा सकती है। मनोज कहते हैं कि जब वो सिर्फ 6 महीने के थे तब उनके पिता का देहांत हो गया। इसके बाद उनकी मां ने छोटे-छोटे काम कर उनका पालन पोषण किया। पिता के मौत के बाद परिवार की स्थिति ठीक नहीं थी ऐसे में मनोज के दादा-दादी ने काफी सहयोग किया। मनोज कहते हैं कि कभी भी देर नहीं हुई, असफलता ये तय नहीं करती कि आपको मंजिल नहीं मिलेगी। बस कोशिश करते रहना चाहिए।
Positive सार
अगर कोई व्यक्ति अपने लक्ष्य को हासिल करने का मन बना ले, तो वो तमाम चुनौतियों के बावजूद भी सफलता हासिल कर ही लेता है। मनोज और सैय्यद की कहानी संघर्षों के मामले में भले ही अलग-अलग होगी लेकिन दोनों ने एक ही काम किया, मंजिल को पाने के लिए लगातार संघर्ष करते रहे। आज ये दोनों सभी के लिए प्रेरणा बन रहे हैं।