महिलाएं
अब अपनी कहानी खुद लिख रही हैं। वह दौर बदल रही हैं, समाज की धारा को मोड़ रही
हैं। अपने अस्तित्व की ऐसी छाप छोड़ रही हैं, जो सदियों याद रखी जाएंगी। राजस्थान के एक छोटे सा गांव की 5 बेटियां भी
उन तमाम लड़कियों को प्रेरणा के पंख देगी जो आसमानों की उड़ान भरना चाहती हैं। यह कहानी है एक किसान की 5 बेटियों की जो
राजस्थान प्रशासनिक सेवा के लिए चुनी गई हैं। वह बेटियां जो 5वीं के बाद कभी स्कूल
नहीं गई पर पढ़ाई को प्राईवेट माध्यम से जारी रखा। भले ही घर से इनके स्कूल का
फासला बढ़ गया हो पर उन्होंने शिक्षा की डोर को थामे रखा और आज समाज के लिए एक
मिसाल बन गईं।
सहदेव सहारण हनुमानगढ़ जिले के भैरुंसरी गांव में किसानी
करते हैं और उनकी पत्नी गृहिणी हैं। उनकी पांच बेटियां और एक बेटा है। पांच
बेटियों की उपलब्धि के साथ ही सहदेव सहारण की उपलब्धि को नज़रणअंदाज नहीं किया जा
सकता है। यह उनकी भी मेहनत का ही परिणाम है कि आज उनकी पांचों बेटियां राजस्थान की
अफसर बनेंगी।
सहदेव सहारण की बड़ी बेटी रोमा सहारण साल 2010 में आरएएस की
परीक्षा में सफल हुईं थी। 2012 में मंजू सहारण ने सफलता हासिल की जो उनकी दूसरी
बेटी हैं। और वर्ष 2018 की राजस्थान प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में उनकी तीन
बेटियां अंशु सहारण, रीतू सहारण और सुमन सहारण ने सफलता हासिल किया। इन बेटियों की
सफलता से समाज को एक संदेश जाता है कि बेटा-बेटी सब बराबर हैं। सभी को सपने देखने
और उन्हें पूरा करने का अधिकार है।