Inspirational Story: एक ड्राइवर की बेटी बनीं फ्लाइंग अफसर, संघर्ष की कहानी!

‘लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।’

Inspirational Story: ऊपर लिखी ये लाइन्स मेरठ की श्रुति सिंह पर एकदम फिट बैठती है। उन्होंने एक ऐसा मुकाम हासिल किया है जिसके बारे में शायद ही कोई सोच सकता होगा। संघर्षों से, विपरित परिस्थितियों से और आर्थिक परेशानियों का सामना करते हुए कैसे एक लड़की ने अपने जीवन का रुख ही मोड़ दिया। ये कहानी है एक परिश्रमी पिता और उनकी बेटी की जिन्होंने दूसरों के लिए भी एक मिसाल पेश की है। 

बस ड्राइवर है श्रुति के पिता 

जब श्रुति ने एयरफोर्स कॉमन एडमिशन टेस्ट (AFCAT) परीक्षा में ऑल इंडिया दूसरी रैंक हासिल करते हुए सफलता हासिल की तो तमाम अखबारों, समाचार चैनल्स ने ये हेडलाइन दी कि एक बस ड्राइवर की बेटी अब अफसर बनेगी। लेकिन हमें यहां एक अलग ही चीज दिखाई दी वो है एक परिश्रमी पिता और उनकी मेहनती बेटी जिन्होंने एक ऐसी मिसाल पेश की जो न जाने कितनी ही और लोगों के लिए आदर्श बन सकती है। 

श्रुति के बारे में 

श्रुति मेरठ के पल्लवपुरम की रहने वाली हैं, उनकी कामयाबी सिर्फ उनके अकेले की नहीं है बल्कि ये श्रुति के परिवार की भी कामयाबी है। श्रुति के पिता केपी सिंह उत्तर प्रदेश परिवहन निगम में एक ड्राइवर के पद पर काम कर रहे हैं। सरकारी बस चलाने वाले केपी सिंह ने कभी बच्चों को भी कमी नहीं होने दी है। उनके बेहतर भविष्य के लिए केपी सिंह ने हर संभव कोशिश की और उसका रिजल्ट आज सबके सामने है। 

श्रुति की मां सुनीता सिंह बताती हैं कि श्रुति शुरुआत से एक होनहार स्टूडेंट रही हैं। सुनीता जी बेटी की सफलता पर काफी खुश हैं। वो ये भी कहती हैं कि उनकी बेटी ने काफी मुश्किलों का सामना करने के बाद मेहनत के दम पर एयरफोर्स में ऑफिसर बनने का अपना और परिवार का सपना पूरा किया है। 

श्रुति सिंह ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और टीचर कर्नल राजीव देवगन को समर्पित किया है। श्रुति कहती हैं कि उनकी कामयाबी में सबसे ज्यादा इन्हीं लोगों का योगदान हैं। इसके साथ ही श्रुति ने अपनी बहन पूर्व जिला पंचायत सदस्य मिनाक्षी भराला को भी प्रेरणा बताया है, जिन्होंने उनकी बहुत मदद की और पढ़ाई करने के लिए मोटिवेट करती रहीं। 

IAF AFCAT 2023 में मेरिट सूची में AIR 2 हासिल करने के बाद श्रुति सिंह जनवरी 2024 से भारतीय वायुसेना के फ्लाइंग ऑफिसर पद के लिए हैदराबाद के एयरफोर्स एकेडमी में अपना प्रशिक्षण शुरू कर चुकी हैं। बता दें कि फ्लाइंग ऑफिसर भारतीय रक्षा बलों में एक कमीशन प्राप्त रैंक है। 

श्रुति का सक्सेस मंत्र

श्रुति तैयारी को लेकर कहती हैं कि ये जरूरी नहीं है कि 20-20 घंटे बैठकर किताब खोलकर बैठे रहने से सफलता मिलती है बल्कि इन सभी बात में सबसे जरूरी है चीजों को समझना और उनका रिविजन करना। वो कहती हैं कि कई बार परीक्षा के दौरान ऐसा भी समय आता है जब परिवार या रिश्तेदारों के यहां कोई फंक्शन हो रहा हो लेकिन परीक्षा के आड़े इसे नहीं आने देना चाहिए क्योंकि परीक्षा के लिए तय समय होता है। वो कहती है कि पढ़ाई को पहले महत्व दें और लक्ष्य को याद रखें। 

Positive सार 

श्रुति एक ऐसी मिसाल बनीं हैं जो हर एस्पीरेंट को लिए प्रेरणा हैं। कम संसाधन और मुश्किल परिस्थितियों से लड़कर मेहनत करते हुए लक्ष्य को कैसे हासिल किया जाए ये श्रुति ने कर दिखाया है। निश्चित ही वो आने वाली पीढ़ी को एक Positive रास्ता दिखा रही हैं।

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Rishita Diwan

Content Writer

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