Inspiration: मशरूम की डिमांड आजकल काफी है। यही वजह है कि किसान अब पारंपरिक खेती के साथ ही मशरूम की खेती की तरफ भी देख रहे हैं। लेकिन कम ही महिला किसाने होती हैं जो व्यवसाय के रूप में खेती को अपनाती हैं। लेकिन ये कहानी थोड़ी अलग है क्योंकि ये कहानी है कश्मीर की रहने वाली निलोफर की जिन्होंने मशरूम की न सिर्फ खेती की बल्कि उसका बिजनेस कर अपने परिवार को आर्थिक रूप से मजबूती दे रही हैं।
निलोफर के बारे में
दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के गंगू गांव की रहने वाली हैं निलोफर जान। उन्होंने मशरूम की खेती के जरिए सफलता की कहानी लिखी है। इसकी खेती के जरिए वो अपने परिवार की मदद कर रही हैं। उन्होंने काम के साथ अपनी पढ़ाई को भी जारी रखा है। मशरूम की खेती कर निलोफर हर साल लगभग 90 हजार से एक लाख रुपये तक की कमाई कर लेती हैं। मशरूम की खेती करने के साथ-साथ ही निलोफर अपनी पढ़ाई भी कर रही हैं। निलोफर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से सामाजिक कार्य में पोस्ट ग्रैजुएशन कर रही हैं। वो कहती हैं कि मशरूम की खेती के जरिए ना सिर्फ वो अपनी आजीविका पा चुकी हैं बल्कि अपनी पढ़ाई का खर्च भी खुद से ही पूरा कर रही हैं। निलोफर का लक्ष्य एक सफल महिला व्यवसायी बनकर लोगों को प्रेरित करने का है।
कृषि विभाग से मिली मदद
मशरूम की खेती के लिए लिए निलोफर ने पहले कृषि विभाग कश्मीर से प्रशिक्षण हासिल की। इसके बाद उन्होंने खुद से बिजनेस को आगे बढ़ाया। एक वेबसाइट से बात करते हुए निलोफर ने बताया की उन्हें मशरूम की खेती करने के लिए कृषि विभाग की तरफ से सब्सि़डी भी मिली थी। इसके साथ ही मशरूम यूनिट को सफल बनाने के लिए उन्होंने काफी मेहनत भी की। निलोफर पुलवामा शहर से लगभग तीन किलोमीटर दूर गंगू में अपने घर पर ही मशरूम की खेती कर रही हैं।
लड़कियों को मिले रोजगार के मौके
निलोफर कहती है कि आज के समय जो लड़कियां रोजगार खोज रही हैं उनके लिए ये एक अच्छा ऑप्शन है। उन्हें मशरूम की खेती से काफी फायदा होगा। यह रोजगार का एक विकल्प है। इसके जरिए युवाओं को एक सीमित जगह में आसानी से बेहतर कमाई का मौका मिल सकता है। इसके साथ ही कश्मीर में मशरूम का जबरदस्त बाजार है जो कई संभावनाओं को द्वार खोलता है।
Positive सार
निलोफर काफी साहसी और मेहनती हैं। उनकी ये मेहनत और भी लोगों को मदद कर रही हैं। निलोफर की सफलता ये बयां करती हैं कोई भी काम मुश्किल नहीं है बस जरूरत सही दिशा में कदम बढ़ाने की है। अब जब निलोफर ने अपनी एक अलग पहचान बना ली हैं तो वो कश्मीर में लड़कियों को सशक्त होने के लिए प्रेरित भी कर रही हैं।