IAS Success Story: संघर्षों से जीती जंग, 5 IAS की कहानी बदल देंगी जीवन के प्रति नजरिया!

IAS Success Story: कहते हैं “जहां चाह है वहां राह है” क्या आपने कभी कुछ ऐसा चाहा है जिसकी शुरूआत आपको कठिन लगी हो। ऐसा फील हुआ हो कि क्या आप वो कर सकते हैं जो आप चाहते हैं। जी हां जरूर सोचा होगा। लेकिन सोचिए जब दृढ़ संकल्पित होकर उस काम को शुरू करते हैं और फिर उसे पा लेते हैं तो आपको कैसा महसूस होता होगा। आप लोगों के लिए प्रेरणा बन जाते हैं और अनजाने ही कई सफल कहानियों की नींव रख देते हैं। ऐसे ही प्रेरणादायी लोग हमारे देश के कुछ IAS ऑफिसर्स भी होते हैं जिनकी कहानी आपको प्रेरित करती है। आज हम आपको ऐसे 5 होनहार IAS की Success Story बताएंगे। जिनकी मेहनत ने ये साबित किया है मेहनत और जुनून के आगे कुछ भी मुश्किल नहीं….

अंसार शेख

IAS Success Story की पहली कहानी IAS अंसार शेख की है, जो महाराष्ट्र के जालना गांव के हैं। अंसार भारत के सबसे कम उम्र के IAS में से एक हैं। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के बावजूद उन्होंने देश की सबसे कठिन मानी जाने वाली परीक्षा को पहले ही अटेम्प्ट में पास किया। बता दें कि उनके पिता रिक्शा चलाते हैं। आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने की वजह से कई बार स्कूल छोड़ने की जैसी परिस्थिति भी उनके सामने आई। लेकिन उन्होंने पढ़ाई नहीं छोड़ी। उन्होंने 12वीं में 91% मार्क्स हासिल किए। अंसार ने 12 घंटे नौकरी करते हुए यूपीएससी परीक्षा के लिए पढ़ाई की। साल 2015 में 361वीं रैंक के साथ वह IAS अफसर बन गए।

इरा सिंघल

IAS Success Story की दूसरी कहानी इरा की है। इरा आज सिर्फ एक आईएएस नहीं बल्कि मोटिवेटर और खुल कर जीने वाली पर्सनालिटी के तौर पर उभरी हैं। उनकी कहानी काफी प्रेरणादायी है। उत्तर प्रदेश के मेरठ की रहने वाली इरा ने बीटेक के बाद डीयू से एमबीए पास किया। स्कोलियोसिस नाम की बीमारी से पीड़ित होने की वजह से उनका बचपन काफी मुश्किल था। 2010, 2011 और 2013 में यूपीएससी परीक्षा पास करने के बावजूद इरा को दिव्यांगता के कारण पोस्टिंग नहीं मिली। उन्होंने इस फैसले को सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल में चैलेंज किया और 2014 में इरा के हक में फैसला आया। साल 2014 में इरा ने फिर से परीक्षा दी और इस बार उन्होंने टॉप किया।

सौम्या शर्मा

ये कहानी दिल्ली की रहने वाली Saumya Sharma की है। IAS Success Story लिखने वाले उनकी कहानी जरूर लिखते हैं। सौम्या ने वकालत की पढ़ाई की है और फिर IAS की तैयारी में लग गईं। स्कूल के दिनों में हुई एक दुर्घटना में उनके सुनने की शक्ति प्रभावित हुई। इसके अलावा UPSC मेन्स परीक्षा के कुछ दिन पहले सौम्या की तबियत काफी खराब हो गई। उन्होंने एग्जाम के बीच में लंच ब्रेक में ड्रिप तक लगवाई। ऐसे हालातों में भी सौम्या को पता था कि उन्हें क्या करना है। जब रिजल्ट आया तब सौम्या 9वीं रैंक के साथ IAS अफसर बनीं।

उम्मुल खेर

Ummul Kher की कहानी आपको ये सोचने पर मजबूर कर देगी कि क्या ये चमत्कार है या फिर किसी के मेहनत और इच्छा शक्ति में इतनी ताकत होती है कि वो कुछ भी हासिल कर सकता है। उम्मुल की कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है जिसमें हीरो सब परेशानियों से लड़कर जीत जाता है। इस रियल लाइफ स्टोरी की हीरो हैं उम्मुल, उम्मुल का बचपन काफी संघर्षों में बीता। राजस्थान से दिल्ली आया उनका परिवार सड़क के किनारे रहता था। फुटपाथ पर रहने वाले उम्मुल के परिवार को एक दिन पुलिस ने हटा दिया तब उनके पास रहने तक का ठिकाना नहीं था। घरवाले उम्मुल की पढ़ाई छुड़वाना चाहते थे। उम्मुल ने छोटी सी उम्र में झुग्गियों में कमरा किराए पर लिया और ट्यूशन पढ़ाकर अपना पेट पाला और पढ़ाई जारी रखी। परिवार इस समय उनके साथ नहीं था। उम्मुल को बोन फ्रेजाइल डिसऑर्डर है, इसमें हड्डियां काफी कमजोर होती है। ज्यादा देर तक खड़े रहने से दर्द या जरा सी चोट लगने पर हड्डियों के नुकसान का डर होता है।

उम्मुल ने इन सभी परेशानियों के साथ सामना करते हुए अपनी मंजिल हासिल। उनकी स्कूली शिक्षा दिव्यांग बच्चों के स्कूल से पूरी हुई। आगे की पढ़ाई के लिये उन्हें स्कॉलरशिप्स मिले। उम्मुल के दसवीं में 91 प्रतिशत और बारहवीं में 90 प्रतिशत अंक हासिल किए। बाद में उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के गार्गी कॉलेज से साइकोलॉजी में ग्रेजुएशन पूरी की और जेएनयू से पीजी की डिग्री ली। 2014 में उम्मुल का जापान के इंटरनेशनल लीडरशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम के चयन हुआ। 18 साल के इतिहास में सिर्फ तीन भारतीय इस प्रोग्राम में सेलेक्ट हुये थे और उम्मुल ऐसी चौथी भारतीय बनीं। एमफिल के बाद उम्मुल ने जेआरएफ क्लियर किया और यहां से उनके पैसे की परेशानी खत्म हुई। इसी दौरान उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा 420वीं रैंक के साथ पास की। ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि वो एक प्रेरणा हैं और उनका जन्म सफलता की नई कहानियां लिखने के लिए हुआ है।

आईएएस दिव्या तवंर

आईएएस दिव्या तंवर ने 2021 में यूपीएससी की परीक्षा में  438 रैंक हासिल किया था। उन्होंने बिना कोचिंग के इस परीक्षा में सफलता हासिल की। उन्होंने भी आर्थिक परेशानियों का सामना करते हुए अपनी पढ़ाई पूरी की। उनकी मां ने उन्हें अकेले पाला है। 2022 में 22 वर्ष की उम्र में दोबारा यूपीएससी देकर 105 रैंक हासिल कर दिव्या आईएएस बनीं।

Positive सार

ये कहानियां सच्ची कहानियां है जो ये बताती हैं कि जीवन में कठिनाईयां और संघर्ष तो आती रहेंगी लेकिन मंजिल उन्हें मिलती है जो उनका सामना डटकर करते हैं।

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Rishita Diwan

Content Writer

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