‘फ्रीडम ऑफ च्वाइस’ को प्रमोट करती जर्मन जिमनास्टिक खिलाड़ी

टोक्यो ओलंपिक 2020 में खेल रही जर्मनी
की जिमनास्टिक खिलाड़ियों की चर्चा आज पूरी दुनिया में हो रही है। खेल प्रतिभा के
अलावा यह खिलाड़ी
फ्रीडम ऑफ च्वाइस को
प्रमोट कर रही हैं। दरअसल टोक्यो ओलंपिक में जर्मन की महिला जिमनास्ट ने फुल बॉडी
सूट पहनकर गेम में उतरने का फैसला किया। ताकि
फ्रीडम ऑफ च्वाइस यानी महिलाओं के अपने पसंद के
कपड़े पहनने की आजादी की तरफ वह पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित कर सकें।

इन खिलाड़ियों का कहना है कि जब
कोई महिला खिलाड़ी मैदान में उतरती है, तो लोग उनमें स्पोर्ट्स अपील खोजते हैं
लेकिन वहीं जब बिकिनी पहने महिला खिलाड़ी मैदान में उतरती हैं तो उन्हें कई बार
असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है। उन्हें लगा कि उन्हें सेक्स ऑब्जेक्ट के तौर
पर देखा जा रहा है। तो उन्होंने यह तय किया कि महिलाओं को अपने पसंद और अपने
कंफर्ट के हिसाब से कपड़े पहनने का फैसला लेना चाहिए।

जर्मन टीम की जिमनास्टिक खिलाड़ी
सारा वॉस
, पॉलीन शेफर-बेट्ज, एलिजाबेथ सेट्ज और किम बुई ने गेम के दौरान लाल और सफेद रंग
के यूनिटार्ड पहना। 21 साल की वॉस का कहना है कि
, ‘जैसे-जैसे आप एक महिला के रूप में
बड़ी होती जाती हैं
, वैसे-वैसे
अपने नए शरीर के साथ सहज होना काफी मुश्किल हो जाता है। हम यह सुनिश्चित करना
चाहते थे कि हम जो भी पहनें उसमें हम अच्छे दिखने के साथ-साथ सहज भी महसूस करें।
भले ही वो शॉर्ट यूनिटार्ड हो या लॉन्ग
। वॉस ने कहा कि उनकी टीम ने अप्रैल में यूरोपीय चैंपियनशिप में भी फुल बॉडी
सूट पहना था. इसका मकसद खेल में सेक्सुलाइजेशन को बढ़ावा ना देना है। हम एक रोल
मॉडल बनना चाहते थे ताकि लोगों में हमें फॉलो करने की हिम्मत आ सके।
जर्मन खिलाड़ियों के इस फैसले को सोशल मीडिया पर काफी
सराहना मिल रही है।

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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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