43 साल के संघर्ष से तैयार किया एक पूरा जंगल, प्रकृति प्रेम ने बना दिया ‘फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया’!

Forest Man of India Jadav Payeng:

जादव मोलाई पायेंग देखने में बिल्कुल साधारण व्यक्ति लगते हैं। सहज और सरल रूप में बात करते हुए उन्होंने देखना ऐसा लगता है जैसे उनका पूरा जीवन ही प्रकृति की सेवा के लिए समर्पित है। 16 वर्ष की उम्र में शुरू हुई उनकी मुहीम आज प्रकृति संरक्षण के लिए मील का पत्थर बन चुकी है। भारत के वन पुरुष या फिर ‘फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया’ की कहानी एक संघर्ष की पूरी यात्रा कहती है। आज उनकी मेहनत की वजह से 15 फुटबॉल मैदानों के आकार का पूरा जंगल स्थापित है।

 

जादव मोलाई पायेंग की ‘फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया’ बनने की कहानी

असम में रहने वाले जादव मोलाई पायेंग के लिए प्रकृति और पर्यावरण दोनों ही जीवन है। जैव-विविधता और उनके जीवों के अस्तित्व और पर्यावरण संरक्षण के लिए जादव मोलाई 42 साल से एक अलग ही यात्रा पर निकले हैं। उन्होंने अकेले ही सैकड़ों एकड़ वन क्षेत्र की स्थापना कर दी है। इसलिए उन्हें भारत का फॉरेस्ट मैन कहते हैं। केंद्र सरकार ने उनकी सेवाओं को पहचानते हुए उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया है।

 

16 साल की उम्र में शुरू की मुहीम

1979 में शुरू हुई पर्यावरण के लिए उनकी सेवाएं अनवरत् जारी है। साल 1979 में जब जादव 16 साल के थे, तब उन्होंने एक दिन में एक पौधा लगाने का काम शुरू किया। वे हर दिन एक पौधा लगाने के उनके विचार से वन वृक्ष की स्थापना की गई। 42 साल तक चले इस आंदोलन से जाधव ने अकेले ही 550 हेक्टेयर से ज्यादा जंगल लगा दिए हैं। असम में 550 हेक्टेयर सूखी बंजर भूमि को हरे जंगल में बदलने का श्रेय उन्हे ही जाता है। वर्तमान में मुलई वन 1360 एकड़ क्षेत्रफल में फैला है। यह वन क्षेत्र हाथियों और दूसरे पशुओं का आवास है।

 

क्या कहते हैं जादव मेलाई?

हाल ही में एक मीडिया संस्थान से बात करते हुए मेलई कहते हैं कि, “मैं 42 साल से रोज पौधे लगा लगाने का काम कर रहा हूं। मैं सुबह तीन बजे उठता हूं और पांच बजे नाव से जंगल पहुंचता हूं। इसी जंगल में हमारी शादी हुई थी। हमारे यहां बेटा-बेटी भी पैदा हुए। आज हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं ये गौरव की बात है। हमें धरती माता से प्रेम करना चाहिए।”

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Dr. Kirti Sisodhia

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