‘जीवन’ शब्द ही अपने आप में सकारात्मक ऊर्जा का पूरा पर्याय है। और एक सेहतमंद lifestyle इंसान को अर्थपूर्ण जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है। पर Competition का यह दौर, दौड़ती-भागती जिंदगी और स्ट्रेसफुल लाइफ युवाओं में आजकल आम बात हो गई है। एक अखबार में प्रकाशित रिसर्च का यह दावा है कि ज्यादातर युवा अच्छा परिवार, बेहतर शिक्षा, मजबूत आर्थिक स्थिति और बेहतर स्वास्थ्य होने के बावजूद चिंता, अवसाद और कमजोरी जैसी परेशानियों का सामना कर रहे हैं। यह रिपोर्ट कहती है कि इन युवाओं की समस्या सामाजिक अव्यवस्था और गरीबी नहीं बल्कि ‘डोपामाइन’ की अधिकता है।
क्या है DOPAMINE ?
डोपामाइन एक तरह का केमिकल है। जो कि न्यूरोट्रांसमीटर की तरह काम करता है। यह खुशी और रिवॉर्ड जैसी इमोशन्स से जुड़ा है। जब भी हम कोई ऐसा काम करते हैं जिससे हमें खुशी मिलती है तो दिमाग थोड़ा डोपामाइन छोड़ता है और हमें अच्छा लगने का अहसास होता है।
डिप्रेशन और डोपामाइन का क्या संबंध है?
आमतौर पर कोई भी इंसान यह सोच सकता है, कि डोपामाइन जब इंसान को खुशी देता है तो फिर यह अवसाद का कारण कैसे हो सकता है। इसे आसान तरीके से ऐसे समझ सकते हैं – मान लीजिए किसी युवा की दिलचस्पी Video Game खेलने में है। और उसे इससे खुशी मिलती है। पर लगातार खुश रहने के लिए उसका ऐसा करना हैंगओवर या फिर आदत की भावना में बदलने लगता है। और अगर ऐसे ही गेम खेलने का उसका एक ही पैटर्न घंटो और महीनों चलता है, तो दिमाग का set point बदल जाता है। यानी कि अब अगर वह युवा गेम खेलेगा तो खुशी के लिए नहीं बल्कि आदत के लिए। अगर बोरियत के चलते या फिर किसी भी कारण से गेम खेलना बंद होगा। तो उस युवा को नशीले सामान से दूरी होने पर होने वाले लक्षण जैसे – चिंता, चिड़चिड़ाहट, नींद की समस्या जैसी परेशानियों से जूझना पड़ता है। यह स्थिति मोबाइल या किसी भी स्क्रीन वाली डिजीटल platform पर हो सकता है।
क्या है डोपामाइन फास्ट? और कैसे है डिप्रेशन में कारगर।
रिसर्चर कहते हैं कि इंसानी दिमाग ने कई सालों में मानसिक संतुलन को एक व्यवस्था में ढाला है। Digital दुनिया से पहले भी इंसानी दिमाग को खतरा था। लेकिन आज Digitally Advancement की वजह से youth अलग ही तरह की परेशानियां से जूझ रहा है। Texting, Messaging, Surfing, Online shopping, gambling और gaming जैसे Platforms को नशे की लत की तरह से डिजाइन किया गया है। आज हर किसी के हाथों में smart phones और काम को आसान करने वाले गैजेट्स हैं। ऐसे में इन चीजों के इस्तेमाल के बिना जिंदगी आसान नहीं लगती। पर इन डिजीटल गैजेट्स को कम उपयोग कर डोपामाइन संतुलन को बनाया जा सकता है। इस पर रिसर्च कर रहे डॉक्टर्स का कहना है कि अब तक हुए स्टडी से यह पता चला है कि डोपामाइन फास्ट से युवा मरीज के depression और anxiety में कमी आई है।
‘डोपामाइन फास्टिंग’ मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित करने में कारगर साबित हो रहा है। डिजीटली आदतों पर नियंत्रण हमें बेशक बेचैन कर सकता है लेकिन अगर इन आदतों पर हम नियंत्रण पाकर डोपामाइन का संतुलन बना सकते हैं। जीवन की वास्तविक खुशियां वापस आ सकती है।