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विदेश से आए पौधे भारत की जमीन पर भी जिंदा रहें, इसके लिए हर कैक्टस के साथ उस देश की मिट्टी भी लाई गई ताकि पौधों की देखभाल ठीक से हो सके। आज ये कैक्टस गार्डन पर्यटन स्थल है। देशभर से लोग कैक्टस गार्डन को देखने आते है। भारत में पंचकूला में भी एशिया का सबसे बड़ा कैक्टस गार्डन तैयार किया गया है। 7 एकड़ में फैले इस गार्डन में दुनियाभर के दुर्लभ प्रजातियों वाले कैक्टस को सहेजकर रखा गया है।
कैक्टस का इतिहास
कांटों भरे इन पौधों का इतिहास करोड़ों साल का है। अमेरिका के यूटा में कैक्टस के 5 करोड़ साल पुराने जीवाश्म मिले हैं। संस्कृत में इसका नाम वज्रकंटका रखा गया है, क्योंकि इसके कांटें मजबूत होते हैं। पुराने समय में इन कांटों से ही बच्चों के कान छेदे जाते थे। पुराने लोगों का मानना है कि कैक्टस के कांटों से छेदने पर कान पकते नहीं हैं।
ये तो हो गई कैक्टस के इतिहास की बात लेकिन अब आते हैं इसके हेल्थ से जुड़े फायदों पर। दरअसल जानकारों का मानना है कि कैक्टस जितना गार्डन को सजाने के काम आता है उतना ही आयुर्वेदिक रूप से भी इसका महत्व है। चिकित्सा विज्ञान ने इस बात की प्रूव भी किया है।
जड़ से आयुर्वेदिक दवाएं बनाई जाती है। कैक्टस की कई ऐसी प्रजातियां हैं, जिनके फल, फूल और गूदे को खाया जा सकता है। इससे सब्जी, शरबत और सलाद भी बनाया जाता है।
कैक्टस के फूल से भागते हैं बुखार
आयुर्वेद के जानकारों के मुताबिक लाल-पीले नागफनी के फूलों को उबालकर खाने से बुखार उतरता है। पुरुषों की प्रोस्टेट ग्लैंड बढ़ जाए तो वैद्य दूसरी दवाओं के साथ इन फूलों के पाउडर यानी चूर्ण इस्तेमाल की सलाह भी देते हैं।
ड्रैगन फ्रूट कैक्टस फैमिली का
ड्रैगन फ्रूट आजकल काफी ट्रेंड में है और हर तरफ इसके फायदे बताए जाते हैं। ड्रैगन फ्रूट भी कैक्टस की एक वैरायटी ‘हिलोसेरियस’ का ही फल है। इसी तरह, प्रिकली पियर कैक्टस, पेरूवियन एपल, क्वीन ऑफ द नाइट, बैरल कैक्टस, मून और बिहाइव कैक्टस जैसी कैक्टस की कई प्रजातियों को खाया जाता है।
नागफनी के फायदे
इसे पीलिया और एनीमिया जैसी बीमारियों में फायदेमंद माना जाता है।