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हिंदी में एक प्रसिद्ध कहावत है, “जहां चाह है वहां राह है” इसी बात को सच साबित किया है 19 साल के प्रमोद अग्रवाल ने, जिन्होंने 19 साल की छोटी सी उम्र में पायलट बनकर इतिहास रच दिया है। हरियाणा के फतेहाबाद जिले के रतिया कस्बे से प्रमोद का संबंध हौ। उन्होंने 19 वर्ष की उम्र में न केवल पायलट का लाइसेंस प्राप्त किया है बल्कि सात समंदर पार विदेश की धरती पर पायलट बनने का गौरव हासिल किया है।
प्रमोद को पहले मिली थी सोलो फ्लाइंग की स्टीप
पायलट प्रमोद अग्रवाल के पिता उपेंद्र अग्रवाल बेटे की इस उपलब्धि के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि पहले चरण के तहत प्रमोद को सोलो फ्लाइंग करने की स्टीप दी गई। जिसके तहत वे अकेले ही उड़ान भर सकते थे। प्रोटोकॉल के अंतर्गत उन्हें न केवल पहली उड़ान भरने पर पानी की बौछारों से नहलाया गया था, बल्कि संबंधित जहाज को भी पूरे पानी से धोया गय। इसके बाद उन्होंने अपनी पहली उड़ान भरकर यह उपब्धि हासिल की। अपनी दूसरी स्टीप के तहत
पी.पी.एल. लाइसेंस उन्हें हासिल हुआ।
लगभग 6 महीने के बाद उन्हें तीसरी स्टीप और एक साल के अंतराल में पूर्ण रूप से पायलट बनने पर वर्दी पर फोर्थ स्टीप और कैप की खुशी मिली।
अब प्रमोद को करीब 1500 घंटों की फ्लाइंग के बाद अंतर्राष्ट्रीय तौर पर उड़ान भरने की उपलब्धि हासिल हुई।
छोटे शहर के प्रमोद ने पूरे किए बड़े सपने
छोटे से शहर से शिक्षा हासिल करने वाले प्रमोद ने विदेश की धरती पर उड़ान भरी। उनके परिजन उनकी इस उपलब्धि को लेकर काफी खुश हैं।