Indian healthcare दे रहा इकोनॉमी को गति, जानें कैसे बढ़ी मांग?

पिछले कुछ सालों में हेल्थकेयर सेक्टर और इंडस्ट्री की मांग तेजी से बढ़ी है। खासकर कोविड के बाद जब लोग स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा जागरूक हुए हैं। भारत सरकार द्वारा हेल्थकेयर (Indian healthcare) से जुड़ी बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर में हो रहे निवेश की वजह से यह क्षेत्र आने वाले 10 सालों में 22% की सालाना ग्रोथ से बढ़ने के लिए तैयार है। भारतीय हेल्थकेयर सेक्टर से जुड़ी एक रिपोर्ट में ये कहा गया है कि भारत का प्रिवेंटिव हेल्थकेयर सेक्टर 2025 तक $197 बिलियन तक पहुंच सकता है। प्रिवेंटिव हेल्थकेयर पूरे हेल्थकेयर मार्केट का लगभग 36% हिस्सा बनाती है, जिसकी वैल्यू 2021 में $93 बिलियन है।  

बढ़ रही हैं हेल्थकेयर सेक्टर में नौकरियां

फार्मा और हेल्थकेयर कम्पनियां मैक्जिमम इलीजिबल कैंडिडेट को नौकरी देने की कोशिशें कर रही हैं। ये बात हेल्थकेयर सेक्टर से जुड़े रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर भी लागू होती है। टैग्ड की डिकोडिंग जॉब्स सेक्टरल रिपोर्ट के अनुसार इस सेक्टर में 2023 में 16% एम्पलॉयर्स ने इंटरेस्ट दिखाया है। कम्पनियां तेजी से रिक्रूटमेंट का काम कर रही हैं। वहीं टॉप रोल्स के लिए कॉम्पीटिशन भी दिखाई देता है।

यही नहीं अगर प्रेजेंट सिनारियो की बात की जाए तो भारत अपने टैलेंट पूल को मजबूत बनाने की तरफ ध्यान दे रही है। इसकी वजह है कि आज मांग में रहने वाली स्किल्स डायवर्स होती जा रही हैं। वहीं दूसरी कई तरह की इंडस्ट्रियों (Indian healthcare) की तरह भारत का हेल्थकेयर भी डिजिटल और एनालिटिक्स टेक्नोलॉजी पर सेंट्रलाइज्ड हो चुका है। इसके अलावा हेल्थ सेक्टर में कुछ नए क्षेत्र भी उभरकर आए हैं, जो हेल्थकेयर सेक्टर में नौकरियों का सृजन कर रहे हैं…..

डाटा मैनेजमेंट (Data Management)

तमाम इंडस्ट्रीज में लागतों का कस्टमाइजेशन महत्वपूर्ण होता जा रहा है। हेल्थकेयर (Indian healthcare) कम्पनियां भी डाटा की मदद से कॉस्ट बचाने के लिए ट्रांसफॉर्मेशन सिस्टम्स को लागू करके सप्लाई सिस्टम को सुधारना चाहती हैं। इसके लिए वे ऐसे डाटा-एनालिस्ट को खोज रही हैं, जो डाटा साइंस, मशीन लर्निंग, प्रीडिक्टिव एनालिटिक्स, रिस्क मैनेजमेंट में स्किल्ड हों।

उत्पाद प्रबंधन (Product Management)

हेल्थकेयर प्रोडक्ट मैनेजमेंट के स्कोप में हाल के सालों में खासी तेजी देखी गई है। नैसकॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्यगत-उपभोक्तावाद (health-consumerism)  को आजकल काफी महत्व दिया जा रहा है। इससे हेल्थकेयर क्षेत्र में व्यापक बदलाव देखने को मिला है। हेल्थ टेक-कम्पनियां अपने कंज्यूमर्स जैसे- डॉक्टर्स और मरीजों की बढ़ी हुई मांग के बारे में पता कर उनकी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हो रहे हैं।

इसके लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों की मदद से प्रोडक्ट और सर्विस डिलीवरी की सुविधा मिल पा रही है। यहां ये काफी महत्वपूर्ण है कि हेल्थ एक काफी पर्सनलाइज्ड विषय बन गया है। जो इलाज किसी एक पर कारगर साबित होता हो, जरूरी नहीं कि वह किसी दूसरे कस्टमर-सेगमेंट में भी उतना ही असरकारक होगा। यही कारण है कि कम्पनियां कस्टमर-प्रोफाइल की स्टडी पर काफी निवेश कर रही हैं और इसके लिए एआई सिमुलेशंस बनाने का भी काम किया जा रहा है। ऐसे में इस क्षेत्र से जुड़े प्रोडक्ट मैनेजर की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है।

सिस्टम्स इंटेग्रेशन (Systems Integration)

एक सिस्टम इंटेग्रेटर के पास प्रोग्रामिंग, डाटाबेस प्रोफिशिएंसी, वेब डेवलपमेंट की काफी महत्वपूर्ण स्क्लि होती है। उसमें समस्याओं को तेजी से पहचान कर उनका सॉल्युशन निकालने की क्षमता होती है। साथ ही उसमें बेहतरीन कम्युनिकेशन स्किल के साथ ही हेल्थकेयर सम्बंधी नियमों और मानकों की बेहतरीन समझ भी होती है। तेजी से ग्रो करते इस सेक्टर में सिस्टम इंटेग्रेटर की मांग तेजी से बढ़ी है।

डाटा इंजीनियरिंग (Data Engineering)

हेल्थकेयर सेक्टर में मरीजों से जुड़ी सेंसेटिव डाटा सुरक्षा के लिए डाटा इंजीनियरिंग की मांग काफी बढ़ी है। ये मरीजों की जानकारी को सुरक्षित और मैनेज रखने के लिए एक प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाता है। हेल्थकेयर कंपनियों को सिस्टम्स कॉन्फ़िगरेशन और नियमित रूप से अपडेट करने के लिए डाटा इंजीनियरों की जरूरत होती है। ताकि वे नए नियमों और तकनीकियों के हिसाब से हों।

इनके अलावा इंटरनेट ऑफ मेडिकल थिंग्स (IoMT) और टेलीहेल्थ जैसे क्षेत्र भी हेल्थकेयर सेक्टर में काफी महत्वपूर्ण हो रहे हैं। टेलीहेल्थ के जरिए किसी इमरजेंसी में फंसे मरीजों की रिमोट मॉनिटरिंग और देखभाल की जाती है। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिनों पहले कहा था कि रिमोट हेल्थकेयर और टेलीमेडिसिन शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में स्वास्थ्य-सुविधाओं तक सबकी समान रूप से पहुंच अब भारत में आसान हो रही है। इस बात का जिक्र लेख के शुरूआत में ही किया गया था कि कैसे अलग-अलग क्षेत्रों में एडवांस तकनीकों और मैन फोर्स से लोगों को हेल्थकेयर सुविधा पहुंचाई जा रही है।

READ MORE 5G कनेक्टेड एम्बुलेंस लॉच, क्या मिलेंगी सुविधाएं?

2030 तक भारत में टेलीहेल्थ (Indian healthcare) सेवाओं की मार्केट वैल्यू बढ़कर 504 अरब डॉलर हो सकती है। वहीं अब फार्मा कम्पनियां एप्स और सॉफ्टवेयरों की मदद से ट्रायल पार्टिसिपेंट्स से भी कम्यूनिकेट करती रहती है। ताकि क्लिनिकल ट्रायल के क्षेत्र में हो रहे प्रयोग सफल हो सकें।

भारतीय हेल्थकेयर क्षेत्र आने वाले सालों में वैश्विक स्तर पर एक उदाहरण बनकर खड़ी होगी। आयुर्वेद और योग स्वास्थ्य के लिए पहले ही भारत की पहचान ग्लोबल है वहीं बढ़ती स्वास्थ्य सुविधाएं, हेल्थकेयर इंडस्ट्री और सरकारी प्रयास भारत को एक लीडर के रूप में स्थापित करेंगे।

नोट- लेख कुछ रिपोर्ट्स, अखबारों में प्रकाशित सर्वे और विषय के एक्सपर्ट्स के लेखों पर आधारित है। Seepositive की कोशिश है कि हर सकारात्मक और बदलाव की कहानी और जानकारी हमारे viewers तक पहुंचे। ताकि एक बेहतर कल के भागीदार हम भी बनें। अपना फीडबैक देने के लिए हमसे जुड़ें।

Avatar photo

Rishita Diwan

Content Writer

CATEGORIES Business Agriculture Technology Environment Health Education

info@seepositive.in
Rishita Diwan – Chief editor

8839164150
Rishika Choudhury – Editor

8327416378

email – hello@seepositive.in
Office

Address: D 133, near Ram Janki Temple, Sector 5, Jagriti Nagar, Devendra Nagar, Raipur, Chhattisgarh 492001

FOLLOW US

GET OUR POSITIVE STORIES

Uplifting stories, positive impact and updates delivered straight into your inbox.

You have been successfully Subscribed! Ops! Something went wrong, please try again.
CATEGORIES Business Agriculture Technology Environment Health Education

SHARE YOUR STORY

info@seepositive.in

SEND FEEDBACK

contact@seepositive.in

FOLLOW US

GET OUR POSITIVE STORIES

Uplifting stories, positive impact and updates delivered straight into your inbox.

You have been successfully Subscribed! Ops! Something went wrong, please try again.