छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में सुरक्षाबलों ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। होली के शुभ अवसर पर टेकलगुड़ेम गांव में पहला मोबाइल टावर स्थापित किया गया है। यह टावर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के शिविर के अंदर लगाया गया है और यह आसपास के गांवों को पहली बार ‘सेलुलर कनेक्टिविटी’ प्रदान करेगा।
तकनीकी युग में कदम रखता टेकलगुड़ेम
टेकलगुड़ेम उन शुरुआती स्थानों में से एक है जहां CRPF ने पिछले साल जनवरी में एक अग्रिम परिचालन शिविर (Forward Operating Base) स्थापित किया था। इस पहल का उद्देश्य विशिष्ट माओवादी विरोधी अभियानों (Anti-Naxal Operations) को मजबूती देना और स्थानीय प्रशासन को विकास कार्यों में सहायता प्रदान करना था।
कनेक्टिविटी से बदलेगी तस्वीर
CRPF के टेकलगुड़ेम कैंप में 13 मार्च को मोबाइल टावर लगाया गया। इस टावर का संचालन CRPF की 150वीं बटालियन द्वारा किया जा रहा है। यह सुविधा बस्तर क्षेत्र के नक्सल प्रभावित इलाकों में पहली बार आई है। इसका सीधा लाभ आसपास के ग्रामीणों को मिलेगा, जिन्हें अब तक डिजिटल युग से वंचित रहना पड़ा था।
बदल रहा है नक्सल प्रभावित इलाका
सुकमा जिले के अंदरूनी इलाके में स्थित यह गांव नक्सल हिंसा से बुरी तरह प्रभावित था। यह इलाका बीजापुर जिले से सटा हुआ है, जो पहले माओवादियों का मजबूत गढ़ माना जाता था।
कमांडर हिड़मा का गांव – पूवर्ती
पूवर्ती गांव माओवादी पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) की पहली बटालियन के कुख्यात कमांडर हिड़मा का गृह क्षेत्र है। CRPF अधिकारियों के अनुसार, इस मोबाइल टावर को चालू करने के लिए BSNL के अधिकारियों ने 600 किलोमीटर की यात्रा तय कर इसे साकार किया।
नक्सलियों पर बढ़ता दबाव
टेकलगुड़ेम और आसपास के इलाके कभी नक्सलियों का गढ़ हुआ करते थे। लेकिन सुरक्षाबलों की लगातार कार्रवाई के बाद अब हालात बदल रहे हैं। अबूझमाड़ जैसे इलाकों में CRPF की सक्रियता के चलते नक्सली ठिकाने बदलने को मजबूर हो रहे हैं।
कैसे बढ़ेगा विकास?
- संचार सुविधाएं बेहतर होंगी (Mobile Connectivity)
- स्थानीय प्रशासन को विकास कार्यों में मदद मिलेगी (Infrastructure Development)
- ग्रामीणों को डिजिटल सेवाओं का लाभ मिलेगा (Digital India)
- सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत होगी (Enhanced Security
उम्मीदों की नई किरण
सुकमा में CRPF द्वारा स्थापित मोबाइल टावर सिर्फ एक संचार सुविधा नहीं है, बल्कि यह इलाके में शांति और विकास की नई किरण भी लेकर आया है। यह पहल नक्सल प्रभावित क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ने में मील का पत्थर साबित होगी।