चॉकलेट्स का
दीवाना बच्चों से लेकर बड़ों तक हर कोई होता है। और आजकल का तो ट्रेंड ही चला है
कि Festival हो या फिर Birthdays….किसी से पहली मुलाकात हो या फिर किसी को खुश करना हो
चॉकलेट्स बेस्ट ऑप्शन है। Rich Chocolate क्लचर वाले यूरोपीय देशों के डेयरी उत्पाद पूरी दुनिया में
मशहूर हैं । और स्विट्जरलैंड के चॉकलेट्स की तो पूरी दुनिया दीवानी है। लेकिन अब
भारत भी चॉकलेट्स की दुनिया में धीरे-धीरे पैर पसार रहा है और इसकी शुरूआत केरल के
‘बीन
टू बार‘ चॉकलेट
निर्माता,
पॉल और माइक के इंटरनेशनल चॉकलेट प्राइज की सिल्वर जीत के साथ शुरू हो चुकी
है। ये पहली भारतीय कंपनी है जिसने अपने अपने ’64 प्रतिशत
डार्क सिचुआन पेपर और ऑरेंज पील वेगन चॉकलेट‘ के लिए अंतर्राष्ट्रीय
चॉकलेट पुरस्कार (2020-2021 वैश्विक फाइनल) में सिल्वर पदक जीता है।
नाम
में क्या रखा है?
कई बार आपने ये जुमला सुना होगा कि नाम में क्या रखा है। पर
इस चॉकलेट के नाम में ही सब रखा है। ब्रांड के नाम के पीछे एक दिलचस्प किस्सा है। दरअसल
सबसे अच्छा स्वाद वाला कोको दक्षिण अमेरिका से आता है, जबकि अफ्रीका थोक ग्रेड
कोको का सबसे बड़ा उत्पादक है। कंपनी का कहना हैं कि “कोको की खेती और किण्वन को समझने के लिए, हमारी
टीम ने लगभग चार साल पहले कुछ दक्षिण अमेरिकी देशों का दौरा किया था। वहां के किसानों से मिलकर यह तय किया गया कि केरल बढ़िया
कोको उगाने के लिए आदर्श होगा। इन किसानों में पॉल और माइक दो मित्र किसान थे। जिन्होंने बेस्ट कोको बीन्स को पाने के प्रोसेस
में हमारी खासी मदद की। इसीलिए कंपनी ने
ये तय किया कि उन किसानों के नाम पर चॉकलेट ब्रांड का नाम पॉल और माइक रखा जाए।”
तीन
साल पुरानी इस फर्म के अब 36 चॉकलेट के वेरिएंट मार्केट में हैं और आने वाले समय
में 100 वेरिएंट के साथ ब्रांड की बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाई जाएगी। कंपनी की इस
सफलता के बाद अब भारतीय फ्लेवर में भी चॉकलेट्स के प्रयोगों पर काम किया जाएगा। भारतीय
चॉकलेट निर्माता पॉल एंड माइक ने बहुत ही कम समय में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी
पहचान बना ली और यह साबित कर दिया कि भारत की क़ाबिलियत का कोई तोड़ नहीं है।