Leafy Vegetable Cultivation: पोषण से भरपूर इन पत्तों के बारे में जानते हैं आप, भारत में साग के रूप में होता है इस्तेमाल!

Leafy Vegetable Cultivation: हरी पत्तेदार सब्जियों में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। ये जितने फायदेमंद हेल्थ के लिए होते हैं उतनी ही औषधीय गुणों से भरपूर भी होती हैं। इनमें मौजूद पोषक तत्व और मिनरल्स ह्यूमन बॉडी के लिए बेस्ट होते हैं। ये हमारे दिल से लेकर पूरे शरीर को फिट रखने में मददगार होते हैं। हरी पत्तेदार सब्जियों (Leafy Vegetable Cultivation) की मांग को देखते हुए किसान भी इसकी खेती करने के लिए प्रोत्साहित हुए हैं।

सर्दियों में बेस्ट होते हैं पत्तेदार सब्जियां (Leafy Vegetable Cultivation)

अक्सर इन सब्जियों को सर्दी में देखा जाता है। पत्तेदार सब्जियों (Leafy Vegetable Cultivation) के लिए सर्दियों का मौसम बेस्ट होता है। सर्दियां आते ही बाजार में हरी पत्तेदार सब्जियों की बिक्री तेजी से बढ़ती है। इस सीजन में पत्तेदार सब्जियां खाने से शरीर को भी काफी फायदा होता है। पत्तेदार सब्जियों (Leafy Vegetable Cultivation) में मौजूद पोषक तत्व और मिनरल्स हमारे दिल से लेकर पूरी शरीर हेल्दी रखते हैं।

पत्तेदार सब्जियों (Leafy Vegetable Cultivation) के कई गुण

पत्तेदार सब्जियों की पत्तियां या टहनियां खाने के लिए उपयोग में लाई जाती है। इनमें फाइटोकेमिकल्स पाए जाते हैं। जो हमारे स्वास्थ्य के लिए जरूरी पोषक तत्वों में से एक है। इनकी मांग को देखते हुए किसान आजकल इनमें रूचि ले रहे हैं। इन्हें कम उत्पादन लागत और ज्यादा उपज के साथ उगाने की वजह से किसानों पर आर्थिक बोझ भी नहीं पड़ता है। पत्तेदार सब्जियों (Leafy Vegetable Cultivation) के अंतर्गत आने वाली साग में कलमी साग, करी पत्ता, बथुआ, पोई साग शामिल हैं। हरी पत्तेदार सब्जियां (Leafy Vegetable Cultivation) जबरदस्त पोषण और औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं। कलमी साग, पोई साग और बथुआ का इस्तेमाल इनके एंटी-डाबिटिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-अल्सर, एंटी-वायरल, सीएनएस डिप्रेसेंट, हेपेटोप्रोटेक्टिव और घाव भरने वाले गुणों की वजह से होता है।

कलमी साग (Kalmi Saag)

कलमी साग (Kalmi Saag) का इस्तेमाल खास तौर पर खाद्य पौधे के रूप में किया जाता है। इसकी पत्तियां मिनरल्स और विटामिन खासकर कैरोटीन का अच्छा सोर्स होती हैं। ‘काशी मनु’ कलमी साग की पहली किस्म के रूप में पहचानी गई है। यह किस्म 2023 में सीवीआरसी द्वारा जारी और नोटिफाई भी हुई है। किसान एक हेक्टेयर में इसकी खेती से 1000 क्विंटल उपज लेते हैं। यह साग 3-4 कटाई प्रति माह के साथ सालभर खेती के लिए अच्छे माने जाते हैं।

बथुआ (Bathua)

पत्तेदार सब्जियों (Leafy Vegetable Cultivation) में बथुआ साग भी आते हैं। यह तेजी से बढ़ने वाली पत्तेदार सब्जी है साथ ही सीमांत जमीन में इसकी खेती आसानी से की जा सकती है। इसकी पत्तियां और कोमल पौधे के हिस्सों का इस्तेमाल पत्तेदार सब्जी और हर्बल दवा के रूप में होता है। इसकी पत्तियां फाइबर, प्रोटीन, मिनरल्स, विटामिन, एंटी-ऑक्सीडेंट और ओमेगा-6 फैटी एसिड का सोर्स होती है। आईसीएआर-आईएआरआई, पूसा, नई दिल्ली ने बथुआ की किस्में डेवलप की हैं।

पोई साग (Poi Saag)

इसे मालाबार पालक भी कहते हैं। इसकी खेती पूरे देश में होती है। पोई साग की पत्तियों और टहनियों की वजह से उगाया जाता है। इसकी काफी स्वाद वाली सब्जी बनती है। इसकी पत्तियों को सलाद के रूप में भी भारत के कुछ हिस्सों में खाया जाता है। पोई साग विटामिन और मिनरल का एक अच्छा सोर्स है।

सरसों साग (mustard greens)

पंजाब से प्रचलित इस पत्तेदार सब्जी (Leafy Vegetable Cultivation) को पूरे भारत में खाया जाता है। सरसों के साग को ‘चाइनीज सरसों’ के नाम से भी पहचाना जाता है। यह बरसात के मौसम के बाद उगाते हैं वहीं पत्तियों की कटाई नवंबर से शुरू हो जाती है और जनवरी-फरवरी के अंत तक इसकी कटाई जारी रहती है। सरसों साग (mustard greens) आयरन, सल्फर, पोटेशियम, फॉस्फोरस और कई अन्य मिनरल्स से भरपूर होता है। हरे पत्तदार साग की उपज 519-629 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के बीच तक हो जाती है।

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Rishita Diwan

Content Writer

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