UPSC 2023 के रिजल्ट ने सफलता की कई कहानियां दी हैं, इनमें मैनपुरी जनपद के सूरज तिवारी भी शामिल हैं। सूरज ने अपने नाम को सार्थक किया है, अब उनकी चमक हर किसी के लिए प्रेरणा बन रही है। दरअसल राजेश तिवारी मैनपुरी के कुरावली तहसील के मोहल्ला घरनाजपुर के निवासी हैं। वे पेशे से दर्जी हैं। उनके दिव्यांग बेटे सूरज तिवारी ने यूपीएससी परीक्षा में 971वीं रैंक पाकर सफलता की नई कहानी लिख दी है।
एक हाथ से लिख दी सफलता की कहानी
यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले दिव्यांग सूरज तिवारी की प्रारंभिक शिक्षा महर्षि परशुराम स्कूल में पूरी हुई। उन्होंने साल 011 में हाईस्कूल परीक्षा एसबीआरएल इंटर कॉलेज मैनपुरी से और 2014 मे इंटरमीडिएट परीक्षा संपूर्णानंद इंटर कॉलेज अरम सराय बेवर से पास की थी। साल 2017 में बीएससी के दौरान दादरी गाजियाबाद में हुई एक ट्रेन दुर्घटना में उनके घुटनों से दोनों पैर और कोहनी दाया हाथ व बाएं हाथ की दो उंगलियां काटनी पड़ी।
इस हादसे ने भी सूरज के हौसलों को तोड़ा नहीं। उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी पढ़ाई को जारी रखा। साल 2021 में उन्होंने जेएनयू दिल्ली से बीए किया और एम की पढ़ाई वे कर रहे हैं। बचपन से पढ़ाई में होशियार सूरज तिवारी आईएएस की तैयारी करने के लिए लगातार 18 घंटे तक पढ़ाई करते थे। पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के बावजूद उन्हें परिवार से काफी सपोर्ट मिला।
पिता ने बढ़ाया बेटे का हौसला
पेशे से दर्जी सूरज तिवारी के पिता राजेश तिवारी बेटे की ख्वाहिश को हर हाल में पूरा करना चाहते थे। सिलाई ही उनके परिवार का एकमात्र सहारा है। बेहद तंगी के बावजूद भी राजेश तिवारी ने अपने बेटे की इच्छा अनुसार उसे प्रेरित करते हुए पढ़ाई के लिए प्रेरित किया। उनकी जरूरतों को पूरा किया। उनके हौसले को टूटने नहीं दिया। इस साल जब यूपीएससी की परीक्षा उन्होंने पास कर ये साबित कर दिया है कि परेशानियां कैसी भी हों, कितनी भी मुश्किलें क्यों न आए अगर आपके अंदर किसी कार्य को पूरा करने का दृढ़संकल्प है तो आप वो जरूर कर सकते हैं। सूरत कई लोगों की प्रेरणा बन गए हैं। उन्होंने साबित किया किया है किसी भी तरह की अक्षमता आपकी काबिलियत को खत्म नहीं कर सकती है।