नई जनरेशन से जुड़ रही है संस्कृत, जानें कैसे स्कूली बच्चों को मिल रहा प्रोत्साहन!

5 हजार साल प्राचीन संस्कृत सिर्फ भाषा नहीं, बल्कि हमारी जड़ें हैं। विश्व की लगभग आधी भाषाओं का जन्म संस्कृत से ही हुआ है। भले ही आम बोलचाल के रूप में संस्कृत का इस्तेमाल नहीं होता हो, लेकिन संस्कृत हमारी परंपरा में रची-बसी है। इसीलिए मध्यप्रदेश सरकार संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए एक पहल करने जा रही है। जिसके तहत छात्रों को संस्कृत पढ़ने पर प्रोत्साहन दिया जाएगा।

स्कूली छात्रों को किया जा रहा है प्रोत्साहित

राज्य बोर्ड और CBSE (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) से संबद्ध स्कूलों में पढ़ने छात्रों के लिए संस्कृत एक स्कोरिंग सब्जेक्ट है। इसके अलावा, शिक्षा बोर्ड अब संस्कृत के पठन-पाठन को बढ़ावा देने के लिए छात्रों को प्रोत्सान राशि देगी। दरअसल मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (MPBSE) के छात्रों को धार्मिक संस्कार कराने पर शासन की तरफ से प्रोत्साहन राशि दिया जाएगा। जिसमें कक्षा पांचवीं से आठवीं तक के छात्र को 8 हजार रुपए और 6वीं से 12वीं तक के छात्रों को 10 हजार रुपए दिए जाएंगे। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि भावी पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़ी रहे। वहीं नई शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) का अनुपालन करते हुए मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा में भगवान परशुराम की जीवन गाथा भी शामिल होगी।

इस बात की जानकारी देते हुए जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) ने कहा, “नई शिक्षा नीति के तहत स्कूलों में संस्कृत को अनिवार्य किया जाएगा। ये तीन भाषा विकल्पों में से एक के रूप में शामिल किया जाएगा। इस प्रणाली को इस तरह स्थापित किया जाएगा कि यह आने वाले वर्षों में भाषा अनुवाद और व्याख्या के प्रयासों में सहायता के लिए प्रौद्योगिकी का व्यापक उपयोग हो सके।

भविष्य के लिए संस्कृत विषय में संभावनाएं

संस्कृत विषय के अध्ययन के बाद युवाओं के लिए रोजगार के अनेक अवसर उपलब्ध होते हैं। ये अवसर सरकारी निजी और सामाजिक सभी क्षेत्रों में मौजूद है। माध्यमिक विद्यालयों में अनिवार्य और ऐच्छिक विषय के रूप में संस्कृत विषय की पढ़ाई के लिए प्रवक्ता या प्रशिक्षित स्नातक अध्यापक की जरूरत होती है। इसके लिए संस्कृत से स्नातक परीक्षा (शास्त्री, बीए) उत्तीर्ण और अध्यापन में प्रशिक्षण (बीएड) प्राप्त अभ्यर्थी पात्र होते हैं। समय समय पर केवीएस व समस्त राज्यों के शिक्षा विभाग इसकी सूचना देते रहते हैं। प्रशासनिक सेवा संघ लोक सेवा आयोग एवं राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से भी प्रतिवर्ष संस्कृत के जानकारों के लिए भर्तियां होती रहती हैं।

संस्कृत शिक्षा के लिए प्रमुख संस्थान

-संस्कृत महाविद्यालय, इंदौर (मध्य प्रदेश)

-विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन (मध्य प्रदेश)

– महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन (मध्य प्रदेश)

– गंगानाथ झा परिसर, इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश)

-गुरुवायूर परिसर, पुराना टुकरा, त्रिचूर (केरल)

-राजीव गांधी परिसर, शृंगेरी (कनार्टक)

– श्री सदाशिव परिसर, पुरी (ओड़ीशा)

-जयपुर परिसर, जयपुर (राजस्थान)

-लखनऊ परिसर, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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Dr. Kirti Sisodia

Content Writer

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