महिला शिक्षा से जुड़ा है देश का भविष्य!


                                                                                
शिक्षित महिलाएं और महिला सशक्तिकरण रेल की पटरी की तरह साथ- साथ चलती है। और देश इन पटरियों पर चलती ट्रेन की तरह होती है, जिसका आगे बढ़ना या रुकना इन पटरियों की मज़बूती पर निर्भर करता है। यूनिसेफ के एक survey के अनुसार कई विकासशील देशों में लगभग 60% लड़कियां विश्वविद्यालयों में नहीं जाती हैं। भारत में बाल विवाह, ‘unfavorable parental attitude’ और लड़कियों की अयोग्य ‘निवेश’ के रूप में धारणा इस विषय को और भी गंभीर बनाती है। यही वजह है कि लड़कियों की शिक्षा को एक strategic improvement priority के रूप में देखा जा रहा है।

‘महिला शिक्षा’ हमेशा से एक विवादित मुद्दा रहा है। लेकिन भारत सरकार की मिड डे मील ,बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे प्रयासों ने महिला शिक्षा के क्षेत्र में काफी सुधार किये हैं। जिससे स्कूलों में बालिकाओं की भागीदारी बढ़ सके और ये प्रयास काफी हद तक सफल हुए हैं।

महिला शिक्षा और आर्थिक भविष्य
लड़कियों के शैक्षिक स्तर में सुधार से युवा महिलाओं के स्वास्थ्य और आर्थिक भविष्य पर स्पष्ट प्रभाव पड़ता है । जो बदले में उनके पूरे समुदाय की संभावनाओं में सुधार करता है। शिक्षित माताओं की शिशु मृत्यु दर उन बच्चों की तुलना में आधी है जिनकी माताएँ निरक्षर हैं। दुनिया के सबसे गरीब देशों में, 50% लड़कियां माध्यमिक विद्यालय में नहीं जाती हैं। महिला शिक्षा में सुधार और महिलाओं की कमाई की क्षमता, उनके बच्चों के जीवन स्तर में सुधार करती है, क्योंकि महिलाएं ,पुरुषों की तुलना में अपनी आय का अधिक हिस्सा अपने परिवार में निवेश करती हैं। फिर भी, लड़कियों की शिक्षा में कई बाधाएं बनी हुई हैं। बुर्किना फासो जैसे कुछ अफ्रीकी देशों में, लड़कियों के लिए निजी शौचालय सुविधाओं की कमी जैसे बुनियादी कारणों से लड़कियों के स्कूल जाने की संभावना नहीं है।

महिलाओं को सशक्त बनाने वाली कुछ पहल
भारत में गरीबी , हिंसा , बाल-विवाह ,स्कूलों की कमी, अपर्याप्त infrastructure और असुरक्षित वातावरण ,जैसी कई वजहों की वजह से महिलाओं की शिक्षा प्रभावित हो रही है। युवा महिलाओं की स्कूली शिक्षा में एक आवश्यक सुधार की आवश्यकता है। बेहतर शिक्षित महिलाएं सामान्य तौर पर भरण-पोषण और चिकित्सा देखभाल के संबंध में अधिक शिक्षित होंगी। इस गंभीर समस्या को समझते हुए भारत में महिला साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए कई मिशन लांच किये गए जैसे

1 . साक्षर भारत मिशन- 2008 में 4 major objectives के साथ शुरू हुआ यह मिशन –
  • non-literates को functional literacy और letter knowledge
  • formal education system की समतुल्यnता प्राप्त करना
  • skill development programs करना और
  • सतत् शिक्षा के लिए अवसर प्रदान करना

2. सबला-राजीव गांधी किशोरियों के सशक्तिकरण योजना –  बढ़ती किशोरियों को खाद्यान्न उपलब्ध कराकर पोषण देने के लक्ष्य से शुरू किया गया ।
3. शिक्षा का अधिकार –   RTE , शिक्षा को एक मौलिक अधिकार मानता है जो 6 से 14 वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करता है ।
4. कस्तूरबा बालिका विद्यालय-  इस योजना के तहत बालिकाओं के लिए आवासीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना की गई ।
5 . राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान-  आरएमएसए का लक्ष्या प्रत्येयक घर से उचित दूरी पर एक माध्यामिक स्कू्ल उपलब्धा कराकर पांच वर्ष में नामांकन दर माध्य्मिक स्तघर पर 90 प्रतिशत तथाक उच्चततर माध्यामिक स्तूर पर 75 प्रतिशत तक बढ़ाने का है।
6 . धनलक्ष्मी योजना –  PM Dhan Laxmi Yojana केंद्र सरकार के द्वारा महिलाओं को independent बनाने के लिए शुरू की गई योजना है। जिसके तहत 18 से 55 वर्ष के बीच की महिलाओं को अगर कोई बिजनेस या रोजगार शुरू करना हैं तो उनको 5 लाख रुपए तक का लोन बिना किसी ब्याज के दिया जाता है।

सरकार के इतने प्रयासों के बाद भी भारत के कई कोनों में इन मिशन की जानकारी लोगो तक नहीं पहुँच पाती हैं। हर नागरिक की ज़िम्मेदारी होती है की ,ऐसी कोई भी जानकारी या प्रोग्राम जो महिला या समाज की स्थिति को बेहतर बना सकती है , वह उन लोगो तक पहुंचाए जो इन सेवाओं का लाभ उठा सकते है।

महिलायें प्रेरणा के श्रोत
चाहे भारत की पहली महिला फिजिशियन आनंदीबाई गोपालराव जोशी हो या रीता फारिआ , क्रिकेटर मिथाली राज हो या मदर टेरेसा। प्रतिभा पाटिल , किरण बेदी , कल्पना चावला ऐसी अनगिनत महिलाएं है। जिन्होंने समाज की कुरितियों को चुनौती देकर समाज में एक आदर्श स्थापित किया है। वहीं दूसरी तरफ आज भी ऐसी कई महिलाएं है जिन्होंने कभी स्कूल का चेहरा तक नहीं देखा।

 गाँधी जी कहते हैं- ‘ Be the change you want to see in the world ‘ उनकी इस बात पर अमल कर हम देश के विकास को एक नया आयाम दे सकते है। गौर करने की बात तो यह है कि अगर समाज का सिर्फ एक वर्ग ‘पुरुष ‘ देश की तरक्की और विकास को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है तो इस पहल में महिलाओं की हिस्सेदारी को बढ़ाकर भारत बाहरी तौर के साथ साथ आंतरिक तौर से मज़बूत होने लगेगा। महिला शिक्षा एक multi-dimensional term है , महिला शिक्षा में सुधार का मतलब है महिला वर्ग की स्थिति में सुधार , बाल विकास में उन्नति , बेहतर समाज की कल्पना को सच होते देखना और बेहतर भारत का निर्माण करना।

”You educate a man; you educate a man.
You educate a woman; you educate a generation.”        – Brigham Young

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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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