Kati ghati gate: अमर कौशिक की फिल्म स्त्री-2 दर्शकों के बीच काफी पसंद की जा रही है। फिल्म की एंडिंग जिस जगह पर फिल्माई गई है वो चंदेरी की ऐतिहासिक जगह ‘कटी घाटी द्वार’ है। मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले में पड़ने वाली इस जगह से जुड़ी कई रोचक कहानियां हैं। इतिहास में भी कटी घाटी द्वार के बारे में लिखा गया है। आइए जानते हैं कटी घाटी द्वार का क्या ऐतिहासिक महत्व है और इससे जुड़ी कौन-कौन सी लोक कथाएं प्रचलित हैं।
क्यों खास है ‘कटी घाटी द्वार?
कटी घाटी द्वार चंदेरी में घुसने का प्रवेश द्वार हुआ करता था। इस विशाल द्वार को देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसे पूरी एक घाटी को काटकर बनाया गया है, इसलिए इसे कटी घाटी द्वार नाम दिया गया है। कहा जाता है कि, 10 मीटर ऊंचे और 25 मीटर चौड़ें इस दरवाजे को सिर्फ एक रात में बनाया गया था। इस भव्य दरवाजे में देवनागरी और नश्क लीपियों में शिलालेख भी मिलते हैं। ये शिलालेख बताते हैं कि कटी घाटी को 1480 ईसवी में बनाया गया था। यह दरवाजा बुंदेलखंड और मालवा राज्य को जोड़ता है।
कटी घाटी द्वार के बनने की कहानी
इतिहास में कटी घाटी द्वार से जुड़ी एक कहानी का उल्लेख है जिसके अनुसार एक बार मालवा के सुल्तान गयासुद्दीन खिलजी ने संदेश भेजा की वो चंदेरी आना चाहता है। उस समय चंदेरी का शासन संभाल रहे जिमन खान ने रास्ते में पड़ने वाली घाटी में भव्य द्वार के निर्माण का सोचा लेकिन उसके पास सिर्फ एक रात का ही समय था। उसने ऐलान कर दिया कि जो भी मिस्त्री घाटी को काटकर एक रात में द्वार बनाएगा उसे मनचाहा ईनाम दिया जाएगा। इक राजमिस्त्री ने यह चुनौती स्वीकार की और रातों-रात घाटी काटकर इस भव्य दरवाजे का निर्माण कर दिया।
राज मिस्त्री को नहीं दिया ईनाम
जिमन खान ने सुबह जब इस सुंदर दरवाजे को देखा तो उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। लेकिन उसने यह कहकर राज मिस्त्री को ईनाम नहीं दिया कि इस द्वार में दरवाजे नहीं हैं। जो सुल्तान की सुरक्षा में बड़ी चूक हो साबित हो सकती है। यह सुनकर मिस्त्री उसी घाटी से गिर पड़ा और उसकी मौत हो गई। कटी घाटी पर ही मिस्त्री की कब्र बनाई गई जो आज भी आसपास के इलाकों में मशहूर है।
बाबर से जुड़ी है एक कहानी
कटी घाटी को लेकर एक और कहानी प्रचलित है जो बाबर से जुड़ी है। कहा जाता है बाबर अपनी सेना के साथ चंदेरी में घुसना चाहता था लेकिन चंदेरी की सीमा पर स्थित इस घाटी को पार करना बड़ी समस्या थी। उसने रास्ता बदलने की बजाए अपनी सेना से घाटी को ही काटकर रास्ता बनाने का आदेश दे डाला। उसके बाद उसके सेना ने घाटी को काटकर चंदेरी जाने का रास्ता बनाया।
इस तरह जा सकते हैं कटी घाटी
कटी घाटी को देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक पहुंचते हैं। अगर आप भी चंदेरी जाना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले अशोकनगर पहुंचना होगा। यहां पहुंचे के लिए बस और ट्रेन रूट दोनों की सुविधा है। अशोकनगर से चंदेरी जाने के लिए बस या अपनी गाड़ी से 53 किलोमीटर का सफर तय करना होता है जिसमें लगभग 1 घंटे का समय लगता है। चंदेरी बस स्टैंड से सिर्फ 3 किलोमीटर की दूरी पर कटी घाटी हैं जहां जाने के लिए आसानी से लोकल गाड़ियां मिल जाती है।