
Highlights:
- केरल के श्रीनाथ ने पास की सिविल सर्विस सेवा।
- रेलवे स्टेशन के वाई-फाई से की पढ़ाई।
- श्रीनाथ वर्तमान में केरल सरकार के भू-राजस्व विभाग में अधिकारी हैं।
UPSC मेंस की परीक्षा 7 जनवरी से शुरू हो चुकी है। देश के इस सबसे बड़े परीक्षा की तैयारी में लोग अपने जीवन के सालों लगा देते हैं। लेकिन इन्ही परीक्षा में निकलकर सामने आते हैं देश के कई होनहार जिनके सपने और जिद के आगे उनकी परेशानियां भी छोटी हो जाती हैं। और ऐसे लोग समाज में एक रोल मॉडल बनकर उभरते हैं। ऐसे ही एक व्यक्तित्व हैं केरल के मुन्नार के रहने वाले श्रीनाथ। श्रीनाथ वर्तमान में केरल सरकार के भू-राजस्व विभाग के तहत एक ग्राम श्रेत्र सहायक के रूप में कार्यरत हैं। भले ही श्रीनाथ आज एक अधिकारी हैं लेकिन उनकी शुरूआत आसान नहीं थी।
कुली का काम करते थे श्रीनाथ
केरल के श्रीनाथ पहले रेलवे स्टेशन में कुली का काम करते थे। उन्होंने 27 की उम्र में अपनी तैयारी शुरू की तब उनके पास न तो किताबों के लिए पैसे थे और न ही कोचिंग के पैसे थे। ऐसे में श्रीनाथ ने रात में भी काम करना शुरू किया। उन्होंने अपनी कमाई से एक स्मार्ट फोन और इयरफोन खरीदा और रेलवे स्टेशन के वाई-फाई से पढ़ने लगे। कई बार ज्यादा काम की वजह से वह जब वह अपनी पढ़ाई को समय नहीं दे पाते थे तब काम के दौरान ईयरफोन पर लैक्चर्स सुनते थे।
रेलवे स्टेशन के वाई-फाई से पूरी की पढ़ाई
एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में श्रीनाथ कहते हैं कि वह परीक्षा के लिए तीन बार उपस्थित हुए हैं और 2016 में पहली बार उन्होंने स्टेशन पर वाई-फाई का उपयोग किया। श्रीनाथ ईयरफोन की मदद से लेक्चर सुनते थे और लेक्चर के दौरान ही अपने दिमाग में प्रश्नावली हल करते थे। इस तरह वे काम करते हुए पढ़ाई करते थे। श्रीनाथ कहते हैं कि- उन्हें जब भी खाली समय मिलता था तो रात में अपने सारे पढ़े हुए को रिवाइज करते थे।
स्टेशन पर मुफ्त वाई-फाई सेवा श्रीनाथ के लिए अवसर
कहते हैं जहां चाह है वहां राह है। श्रीनाथ के ऑफिसर बनने की चाहत बड़ी थी उनके लिए स्टेशन पर मुफ्त वाईफाई सेवा किसी अवसर से कम नहीं थी। उन्होंने कड़ी मेहनत की और कभी भी हार नहीं मानी। घर चलाने के लिए श्रीनाथ अपनी नौकरी भी नहीं छोड़ सकते थे। उन्होंने कम संसाधन में सही दिशा में काम किया। बेशक उनकी मेहनत और लगन उन्हें दुनिया से अलग बनाती है। श्रीनाथ कई लोगों के जीवन के लिए एक उदाहरण हैं जो छोटी-छोटी परेशानियों के पीछे अपने बड़े सपने को नजरअंदाज कर देते हैं। भले ही श्रीनाथ की कहानी 2018 की है पर हाल के मुश्किल दिनों में उनकी यह सच्ची कहानी लोगों के जीवन में एक सकारात्मक बदलाव ला सकती है।