IAS Success Story: कई असफलताओं के बावजूद देवयानी ने नहीं मानी हार, छठे प्रयास में बनी IAS



IAS Success Story: बहुत से ऐसे युवा होते हैं जिनका सपना देश के सबसे बड़े प्रशासनिक पद पर पहुंचना होता है। ये युवा UPSC सिविल सेवा परीक्षा को पास कर उच्च पद पर पहुंच कर देश की सेवा करते हैं। इसके लिए वे दिन-रात मेहनत भी करते हैं। पर कड़ी मेहनत की अपेक्षा करता यह एग्जाम काफी कठिन और कई चरणों में होता है। दिन-रात और अपने जीवन के कई साल युवा इसके लिए मेहनत करते हुए गुजार देते हैं, लेकिन इसके बाद भी जरूरी नहीं कि उनकी सफलता सुनिश्चित हो।

पर इन सब बातों में ये जरूरी होता है कि अगर सपनों को पूरा करना है तो तटस्थ होकर हर रुकावट को पार करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। ऐसा ही जुनून हरियाणा की देवयानी सिंह के अंदर थी, जिन्होंने कई हार के बावजूद अपनी कोशिशों को रोका नहीं और आज वे इस मुकाम पर पहुंच गईं हैं कि हर किसी के लिए मिसाल बन रही हैं।

देवयानी के बारे में…

देवयानी का संबंध मूलरूप से हरियाणा के महेंद्रगढ़ से है। उनके पिता एक भी एक सिविल सर्वेंट हैं। देवयानी ने चंडीगढ़ के एसएच सीनियर सेकेंड्री स्कूल से अपनी 12वीं की पढ़ाई खत्म की। इसके बाद उन्होंने गोवा के बिट्स पिलानी से बीटेक की डिग्री ली। देवयानी को पहले चार बार असफलता का मुंह देखना पड़ा और पांचवे प्रयास में उन्हें अकाउंट्स सेवा में नौकरी मिली। पर वे यहां पर रुकी नहीं। उन्होंने फिर से परीक्षा दी और अपने छठे प्रयास में IAS अधिकारी बन गई।

2015 से 2017 तक नहीं मिली सफलता

देवयानी ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद सिविल सेवाओं की तैयारी शुरू कर दी। उन्हें अपने पहले प्रयास में असफलता मिली। वे 2015 से 2017 तक लगातार असफल होती रहीं। साल 2018 में देवयानी ने अपने चौथे प्रयास में प्रीलिम्स और मेंस की परीक्षा पास करते हुए इंटरव्यू में पहुंच गईं। यहां पहुंचने के बाद भी वे फाइनल लिस्ट में जगह नहीं बना पाई। हालांकि, देवयानी ने हार नहीं मानी और फिर से अपनी तैयारी पर फोकस किया।

2019 में मिली 222 रैंक

देवयानी ने साल 2019 में सिविल सेवा में सफलता प्राप्त करते हुए 222 रैंक हासिल कर ली, जिसके बाद उन्हें लेखा अधिकारी बनने का मौका मिला। हालांकि, वे इससे खुश नहीं थी, क्योंकि उन्हें आईएएस बनना था। ऐसे में उन्होंने फिर से तैयारी शुरू की। सिविल सेवा पास करने के बाद उन्हें शिमला में लेखा सेवा की ट्रेनिंग लेनी थी। इस बात से उन्हें और मुश्किल हो गई, क्योंकि अब उन्हें हफ्ते में पांच दिन ट्रेनिंग में बिताने पड़ते थे और पढ़ने के लिए सिर्फ दो दिन का समय मिलता था। उन्होंने इन दो दिनों का इस्तेमाल आईएएस की तैयारी में लगाया वे सिर्फ विकेंड में ही पढ़ पाती थीं।

देवयानी सिंह ने वीकेंड पर तैयारी करते हुए फिर से सिविल सेवा परीक्षा दी और इस बार उन्होंने 11वीं रैंक हासिल की। देवयानी उन सभी के लिए मिसाल है जो असफलता के बाद हार मान जाते हैं। देवयानी अपने सपनों के लिए तटस्थ रहीं और आज हर युवा के लिए प्रेरणा बन गई हैं।

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Dr. Kirti Sisodia

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