एडवांस होते भारतीय स्कूल, इनोवेशन, इन्क्लूजन और होलिस्टिक व्यू के साथ है भविष्य के लिए तैयार!


न्यू जनरेशन जीवंतता और गतिशील केंद्रों की तरफ अग्रसर हो रही है। कई चुनौतियों और अवसरों के लिए आने वीली पीढ़ी पूरी तरह से तैयार है। नई पीढ़ी के पास नई तकनीक और साइंस के कई आश्चर्य विकल्प के रूप में मौजूद हैं। 21वीं सदी में कदम रख रहे भारतीय स्कूलों के हाथों में भविष्य की चाबियां हैं। ऐसे में क्या जरूरी नहीं है कि नए जनरेशन के स्कूलों में इनोवेशन, इन्क्लूजन और शिक्षा के लिए एक होलिस्टिक व्यू होना चाहिए। इस लेख के माध्यम से जानने की कोशिश करेंगे कि नए जनरेशन के स्कूलों में कौन सी खूबियां होनी चाहिए जो नए भारत की नींव का निर्माण करने वाले हिस्सों को तैयार करने का काम कर रहे हैं।

दूरदृष्टिता से पूरिपूर्ण हो शिक्षक

शिक्षक वे कारीगर होते हैं जो असल में किसी देश की नींव का सबसे पहला हिस्सा होते हैं। इनकी बदौलत समाज को वो सशक्त हाथ मिलते हैं जिनसे राष्ट्र निर्माण होता है। ऐसे में शिक्षकों को नवीन शिक्षण विधियों, प्रौद्योगिकी एकीकरण और प्रभावी मूल्यांकन रणनीतियों में प्रशिक्षित होना चाहिए। यानी कि उन्हें न्यू टीचिंग स्किल्स, टेक इंटीग्रेशन और इफेक्टिव असेसमेंट में दक्ष होना चाहिए। आवश्यक उपकरणों और समर्थन के साथ शिक्षक सशक्त होकर सीखने की यात्रा में सहायक, संरक्षक और मार्गदर्शक के रूप में काम करेंगे।

टेक्नोलॉजी इंटीग्रेशन को अपनाए नई जनरेशन के स्कूल

स्कूल सीखने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में स्थापित हो। इंटरएक्टिव व्हाइटबोर्ड, टैबलेट, शैक्षिक ऐप और वर्चुअल रियालिटी जैसी आधुनिक तकनीकों को एकीकृत करके, छात्र इमर्सिव और व्यक्तिगत सीखने के अनुभवों को महसूस कर पाएंगे। टेक्नोलॉजी छात्रों को उनकी शिक्षा में सक्रिय भागीदार बनने के लिए सशक्त बनाने, सहयोग, महत्वपूर्ण सोच और समस्या को सुलझाने के कौशल की सुविधा देगी। इनके प्रयोग से कठिन कॉन्सेप्ट्स भी आसानी से समझ में आ सकते है और पढाई बोझ नहीं लगेगी। इंटरैक्टिव लर्निंग के जरिये छात्र, शिक्षक से कठिन कॉन्सेप्ट्स पर बात करते करते उन्हें आसानी से समझने का काम कर सकते है।

लचीले हो शिक्षण स्थान

चूंकि स्कूल सीखने का एक प्लेटफॉर्म है, ऐसे में संस्थान को लचीला रचनात्मक होना चाहिए। एक्सप्लोरेशन, टीम वर्क और हैंड्स-ऑन लर्निंग को प्रोत्साहित करने के लिए सहयोगात्मक जोन, मेकर स्पेस और बाहरी क्षेत्रों को बेहतर होना चाहिए। छात्रों की वहां तक पहुंच आसान होनी चाहिए । ऐसे वातावरण छात्रों को उनकी क्षमता को उजागर करने, उनके जुनून की खोज करने और आवश्यक जीवन कौशल विकसित करने में मदद करते हैं।

स्कूल डिसिप्लिन के मॉडर्न मायने

अनुशासन हर दौर का एक महत्वपूर्ण अंग है। अनुशासित व्यक्ति और संस्थान बेहतरी की तरफ तेजी से बढ़ते हैं। लेकिन मॉडर्न डिसिप्लिन की प्रमुख चिंता बच्चे की मेन्टल स्टेट है, न कि आदेशों का पालन करवाने से है। मॉडर्न डिसिप्लिन यह मानता है कि व्यवहार की जिम्मेदारी धीरे-धीरे स्वयं विद्यार्थियों पर स्थानांतरित की जा सकती है। मॉडर्न डिसिप्लिन का कार्य एक प्रकार के आचरण को सुरक्षित करने जैसा है। ये बच्चे में बेस्ट कैरेक्टर और पर्सनैलिटी का विकास करता है।

स्किल डेवलपमेंट पर हो जोर

अकादमिक ज्ञान के साथ प्रायोगिक शिक्षा भी जीवन में महत्वूपर्ण भूमिका निभाता है। स्कूलों को आवश्यक स्किल डेवलपमेंट को प्राथमिकता देनी चाहिए। कम्युनिकेशन, कोऑपरेशन, क्रिएटिविटी और डिजिटल साक्षरता आधुनिक दुनिया में सफलता की सीढ़ियां हैं।

बहुत पुरानी कहावत है, “बच्चे गीली मिट्टी के समान होते हैं, इन्हें सही आकार शिक्षक देता” स्कूल हमेशा से वह संस्थान रहा है जहां से बच्चे बेहतर भविष्य के निर्माण के लिए प्रयासरत रहते हैं। नई जनरेशन को नए तरह से डील करने के लिए जरूरी है कि 21 वीं सदी के स्कूलों को इनोवेशन, इन्क्लूजन और होलिस्टिक व्यू के साथ चलना होगा।

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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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