

देश में इनवेस्टमेंट के तरीके तेजी से बदल रहे हैं, फिर चाहे वह शेयर मार्केट से जुड़े इनवेस्टमेंट हो या म्यूचुअल फंड में निवेश। लेकिन अब एक्टिव फंड्स में निवेशकों की दिलचस्पी लगातार कम हो रही है। इनके प्रबंधन में मैनेजर की सक्रिय भूमिका होने से लागत ज्यादा हो जाती है। दूसरी तरफ पैसिव स्कीम्स में फंड मैनेजर सक्रिय भूमिका नहीं निभा पाते हैं, लिहाजा उनकी लागत भी कम होती है। अब दोनों तरह की स्कीम्स में रिटर्न का अंतर भी कम रह गया है इसलिए पैसिव स्कीम्स की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। यही वजह है कि 2020 के मुकाबले 2021 में पैसिव फंड के एयूएम में 57 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। खास तौर पर इंडेक्स फंड में न सिर्फ निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ रही है, बल्कि म्यूचुअल फंड हाउस भी इन्हें ज्यादा तवज्जो दे पा रहे हैं।
इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि इंडेक्स फंड का पोर्टफोलियो आसान है। इसमें वही शेयर होते हैं, जो सेंसेक्स और निफ्टी जैसे स्टॉक एक्सचेंज के इंडेक्स में शामिल होते हैं। उदाहरण के लिए अगर किसी म्यूचुअल फंड हाउस ने निफ्टी 50 इंडेक्स फंड लॉन्च हुआ है तो इसमें निफ्टी के ही 50 शेयर होंगे। जानते हैं इंडेक्स फंड में निवेश के क्या फायदे हैं,
शेयरों में एक साथ निवेश
अगर बीएसई 500 इंडेक्स को ट्रैक करने वाले किसी फंड में निवेश करते हैं तो पूरा निवेश बीएसई की टॉप-500 कंपनियों में स्प्रेड हो जाएगा। अगर निफ्टी 100 इंडेक्स को ट्रैक करने वाले फंड में पैसा लगाते हैं तो असल में एनएसई के टॉप-100 शेयरों में एक साथ निवेश कर रहे हैं।
कम लागत का फायदा
इंडेक्स फंड का एक्सपेंस रेश्यो 0.02-0.2% होता है। मतलब अगर ऐसे फंड में आप 1 लाख का निवेश करते हैं तो इसकी लागत सिर्फ 20-200 रुपए ही होगी। दूसरे एक्टिव फंड का एक्सपेंस रेश्यो 0.5-1.0% होने से इनमें 1 लाख रुपए के निवेश पर 500-1,000 रुपए खर्च करने पड़ते हैं।
भारी उतार-चढ़ाव वाले मौजूदा दौर में निवेशक रिटर्न के साथ-साथ पोर्टफोलियो में ट्रांसपरेंसी भी चाहते हैं। इंडेक्स फंड में उन्ही कंपनियों के शेयर शामिल करने की अनुमति होती है जो संबंधित इंडेक्स में लिस्टेड हैं। ऐसे में निवेशकों को यह पता होता है कि उनका पैसा किन शेयरों में लग रहा है।
सभी सेक्टरों के शेयर एक साथ बेहतर रिटर्न नहीं दे पाते हैं। दो साल शानदार रिटर्न देने वाले आईटी कंपनियों के शेयरों में पिछले कुछ दिनों से गिरावट आ रही है। दूसरी तरफ एफएमसीजी और ऑटो शेयर अच्छा प्रदर्शन कर पा रहे हैं। ऐसे में निवेशक अच्छी संभावना वाले पसंद के सेक्टोरल इंडेक्स में इनवेस्टमेंट कर सकते हैं।
थीम आधारित निवेश बढ़े
कुछ साल से क्लाउड कम्प्यूटिंग, इलेक्ट्रिक व्हीकल और न्यू इकोनॉमीज जैसे थिमैटिक इन्वेस्टमेंट का चलन काफी हुआ है। फंड मैनेजर भी ऐसे विषय या थीम पर नजर रखे होते हैं, जो भविष्य में स्थिरता और तेज ग्रोथ दिखाने में सक्षम हों। इंडेक्स फंड निवेश में ऐसे थिमैटिक इनोवेशन का लाभ उठाने का मौका मिलता है।
15 साल से म्यूचुअल फंड का अल्फा यानी बेंचमार्क से ऊपर रिटर्न कम ही रहा है। और हाल के सालों में दो तिहाई एक्टिव फंड का रिटर्न टॉप-100 शेयरों के बेंचमार्क से कम है। ऐसे में इंडेक्स फंड ज्यादा फायदेमंद हो सकते हैं। इनकी लागत भी कम होती है।