भारत के स्वतंत्रता संग्राम में गणेशोत्सव ने कैसे निभायी थी अहम भूमिका


गवान गणेश हिंदू धर्म के सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक है। दुनिया भर के मंदिरों, घरों और सार्वजनिक रूप से भी लाखों हिंदुओं द्वारा उनकी पूजा की जाती है। वैसे तो गणेश जी को सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि अफ़ग़ानिस्तान, श्रीलंका, पाकिस्तान और तिब्बत तक में भी पूरी निष्ठा के साथ पूजा जाता है। लेकिन महाराष्ट्र में गणेश पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि गणेश जी ने भारत में मुग़ल और ब्रिटिश शासन के दौरान हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को एकजुट करने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक ने महाराष्ट्र के पुणे में सार्वजनिक गणेशोत्सव की शुरुआत की, लेकिन महाराष्ट्र में लगभग 500 सालों से लोग अपने घरों में भगवान गणेश की छोटी-छोटी प्रतिमाएं भाद्रपद के महीने में स्थापित कर उनकी पूजा करते आ रहें हैं।

हिंदू संस्कृति में सभी कार्य गणपति की पूजा के साथ शुरू किये जाते हैं। इसीलिए महाराष्ट्र के शासक, शिवाजी महाराज की माँ जीजामाता ने क़स्बा पेठ गणपति मंदिर की स्थापना की। इसके बाद ही शिवाजी ने आदिल शाह से महाराष्ट्र वापस लेने का अपना मिशन शुरू किया। शिवाजी महाराज को भगवान गणेश पर बहुत विश्वास था कि उनकी सारी सफलता उनके आशीर्वाद के कारण ही है।

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में गणेशोत्सव की भूमिका

1857 में, अंग्रेजों ने स्वतंत्रता के युद्ध को दबा दिया था और क्रांतिकारियों को मार डाला था, इसलिए लोगों के दिलों में भय पैदा हो गया था, जिससे वे बाहर निकलने और एक जगह पर इकठ्ठा होने से डरने लगे थे। तब, उस वक्त के महान नेताओं में से एक, बाल गंगाधर तिलक को विचार आया कि पुणे में हर घर में होने वाली गणेश पूजा को एक सामुदायिक या सार्वजनिक पूजा में तब्दील कर, लोगों को साथ जोड़ा जा सकता है।

उन्हें विश्वास था कि भारतीयों के भगवान गणेश की आराधना करने से ज्यादा एकता और कहीं नहीं मिल सकती। तिलक जानते थे कि भगवान गणेश की ऊँची जातियों और निचली जातियों द्वारा समान रूप से पूजा की जाती है और इस प्रकार, गणेश चतुर्थी ने विभाजित भारतीय आबादी के बीच अंतर को कम किया। उन्होंने हर चौक में गणेश जी को बिठाने का मन बनाया। तिलक ने देश में गणेश चतुर्थी मनाने के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया। उन्होंने हर वर्ग के लोगों को इस प्रयास से आज़ादी की लड़ाई में अपने साथ जोड़ा। इसी एकता का नतीजा हैं कि भारत आज आज़ादी की हवा में सांस ले रहा है। 

आज हम एक बार फिर कोरोना की इस भयंकर महामारी से आज़ादी के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ रहे है। हमें मास्क से आज़ादी चाहिए, जिससे हम एक बार फिर खुली हवा में सांस ले पाएं। हमें बाहर निकलने की आज़ादी चाहिए, जिससे हम देश और दुनिया के किसी भी कोने में घूमने को आज़ाद हो। आख़िर में, हमें एक दूसरे से मिलने की आज़ादी चाहिए, जिससे हम बिना डरे अपने परिवार और दोस्तों से मिल सकें। तो आइए, इस गणेश चतुर्थी भगवान गणेश से प्रार्थना करें कि हमें कोरोना से जल्द से जल्द आज़ादी मिले। 

ॐ गणेशाय नमः

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Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

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