Bhikaiji Cama: वह भारतीय महिला जिन्होंने पहली बार विदेशी जमीन पर फहराया भारत का झंडा!

Bhikaiji Cama: मैडम भीखाजी कामा वह महिला थीं, जिन्होंने देश प्रेम की परिभाषा को एक अलग ही रूप में प्रदर्शित किया।

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अज़ीज़न बाई: एक ऐसी वीरांगना जिसने 1857 की क्रांति के लिए खड़ी कर दी महिलाओ की फौज!

इतिहास में जब भी 1857 की क्रांति (Revolution of 1857) में लड़ने वाली महिलाओं का नाम आता है तो अक्सर, रानी लक्ष्मीबाई, बेग़म हजरत महल जैसी वीरांगनाओं को याद किया जाता है।

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बेला मित्रा: वह स्वतंत्रता सेनानी जिन्हें नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी मानते थे अपना प्रेरणास्त्रोत!

पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में एक रेलवे स्टेशन है, ‘बेला नगर रेलवे स्टेशन’। 1958 में इस स्टेशन का नाम भारतीय स्वतंत्रता सेनानी ‘बेला मित्रा’ के नाम पर रखा गया। ये वही साहसी महिला हैं जिन्हें नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी अपना प्रेरणास्त्रोत मानते थे।

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अरुणा आसफ़ अली: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की वह नायिका जिन्हें ‘ग्रांड ओल्ड लेडी’ के नाम से जाना जाता है!

‘भारत छोड़ो आंदोलन’ वह आंदोलन था, जिसके बाद भारतीयों ने अंग्रेजों को भारत की ज़मीं से उखाड़ फेंका। और इसी आंदोलन में नायिका बनकर उभरीं अरुणा आस़फ अली।

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झलकारी बाई: कहानी उस वीरांगना की जिनके शौर्य में थी रानी लक्ष्मीबाई जैसी चमक!

मध्यप्रदेश का झांसी अपनी कीर्ति का बखान खुद ही करता है।जिसकी वजह हैं, वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई, वह वीरांगना जिन्होंने वीरता की एक मिसाल कायम की है।

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रानी वेलू नचियार: वह रानी जिन्होंने बनाई महिलाओं की सेना, और 7 वर्ष लंबे संघर्ष के बाद अंग्रेजों से वापस छीना अपना साम्राज्य

भारत का हर व्यक्ति यह जानता है कि उन्होंने 1857 की क्रांति में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। और अपने प्राणों की आहूति दे दी। लेकिन ऐसी ही एक क्रांतिकारी रानी वेलु नचियार थीं जिन्होंने रानी लक्ष्मीबाई से भी पहले अंग्रेजों को भारत की नारी शक्ति का अहसास करा दिया था।

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मातंगिनी हाजरा- ‘बूढ़ी गांधी’ जिन्होंने मृत्यु को स्वीकारा पर तिरंगे को झुकने नहीं दिया!

मातंगिनी हाजरा आजादी की लड़ाई में भाग लेने वाली सेनानी थी, जिन्होंने गांधीजी के नक्शे कदम पर चलकर देश की आजादी में अपना अमूल्य योगदान दिया।

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ऊदा देवी- अंग्रेजों से लोहा लेने वाली महिला सैनिक की कहानी!

1857 की क्रांति को कोई भी भारतीय भूल नहीं सकता, अंग्रेजों के खिलाफ भारत की इस पहली लड़ाई ने अंग्रेजी सत्ता की नींव को हिला कर रख दिया। इस युद्ध में सभी ने देश की आजादी के लिए बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। फिर चाहे वो पुरूष हो या महिलाएं।

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भारतीय सिनेमा की नींव रखने वाली सरस्वती बाई, जिनके दम पर बनी भारत की पहली फिल्म !

आज भारतीय सिनेमा का बाजार दुनियाभर के सबसे महंगे सिनेमा व्यवसायों में से एक है। और ये देन है दादा साहब फालके की... जो भारतीय सिनेमा के पितामह कहे जाते हैं। उन्होंने भारतीय सिनेमा की नींव रखी और 1913 में राजा हरिशचंद्र नाम की एक फिल्म बनाई। इस फिल्म को भारत की पहली फिल्म होने का गौरव मिला है।

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प्रेम बिहारी नारायण CALLIGRAPHER OF INDIAN CONSTITUTION

प्रेम बिहारी नारायण की कहानी संविधान की पांडुलिपि से जुड़ी है। संविधान की पांडुलिपि यानि कि वह मूल किताब जिसे हाथ से लिखा गया है।

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