ब्रिटिश महिला ‘मेडेलीन स्लेड’ की ‘मीराबेन’ बनने की अनोखी कहानी!

कहानी है मेडेलीन स्लेड की, जिनके पिता एक ब्रिटिश एडमिरल थे। 22 नवंबर 1892 को इंग्लैंड में जन्मी मेडेलीन अपने पिता के साथ 1908 में भारत आई। भारत की पारंपरिक और सांस्कृतिक समृद्धता, सादापन और निश्चल प्रेम ने मेडेलीन को काफी आकर्षित किया। लेकिन

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गुजरात की साहसी रानी जिसने मोहम्मद गोरी को किया पराजय, इतिहास के स्वर्णिम पन्नों पर लिखा है नाम!

ये कहानी है एक ऐसी शासिका की जिन्होंने इतिहास में दर्ज सबसे खूंखार मुस्लिम शासक मोहम्मद गोरी को परास्त कर दिया यही, नहीं उन्होंने युद्ध रणनीति की ऐसी मिसाल पेश की जो इतिहास के पन्नों पर स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है।

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प्रेमा माथुर: भारत की पहली महिला कमर्शियल पायलट जिन्हें महिला होने की वजह से नहीं दी गई नौकरी!

साल 1947 में सिर्फ देश की गुलामी खत्म नहीं हुई थी बल्कि भारतीय महिलाओं के लिए असामनता और भेदभाव की कुरीति भी खत्म हुई।

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इतिहास को तस्वीरों में सहेजने वाली भारत की पहली महिला फोटोग्राफर: होमई व्यारावाला

भारत की एक बेहतरीन फोटोग्राफर, जिन्होंने कई सालों तक छिपाई अपनी पहचान, इतिहास के पन्नों में दर्ज है नाम

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Kanaklata Barua: 18 साल की वीरांगना जिसने जीवन का बलिदान दे दिया, पर तिरंगे को झुकने नहीं दिया !

Kanaklata Barua: भारत में सत्य घटनाओं पर आधारित आजादी के कई किस्से और कहानियां प्रचलित हैं। ये किस्से और कहानियां भारत की एकता और अखंडता का प्रतीक भी हैं।

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जानकी देवी बजाज वह महिला जिन्होंने गांधी के विचारों से सामाजिक कुरीतियों के अंत का किया शुभारंभ

महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ स्वाधीनता की लड़ाई शुरू की, तब महिला से लेकर पुरुष, बड़े से लेकर युवा और बच्चे सभी उनके साथ स्वतंत्रता के जन आंदोलन में शामिल हो गए।

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मराठा साम्राज्य को पुन: स्थापित करने वाली वीर शासिक: रानी ताराबाई

भारतीय इतिहास इस बात का गवाह है, कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जितनी भूमिका पुरुष वीरों की रही, उतनी ही महिलाओं की भी भागीदारी रही है। ऐसी ही वीर महिलाओं में से एक थीं रानी ताराबाई।

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Bhikaiji Cama: वह भारतीय महिला जिन्होंने पहली बार विदेशी जमीन पर फहराया भारत का झंडा!

Bhikaiji Cama: मैडम भीखाजी कामा वह महिला थीं, जिन्होंने देश प्रेम की परिभाषा को एक अलग ही रूप में प्रदर्शित किया।

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अज़ीज़न बाई: एक ऐसी वीरांगना जिसने 1857 की क्रांति के लिए खड़ी कर दी महिलाओ की फौज!

इतिहास में जब भी 1857 की क्रांति (Revolution of 1857) में लड़ने वाली महिलाओं का नाम आता है तो अक्सर, रानी लक्ष्मीबाई, बेग़म हजरत महल जैसी वीरांगनाओं को याद किया जाता है।

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बेला मित्रा: वह स्वतंत्रता सेनानी जिन्हें नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी मानते थे अपना प्रेरणास्त्रोत!

पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में एक रेलवे स्टेशन है, ‘बेला नगर रेलवे स्टेशन’। 1958 में इस स्टेशन का नाम भारतीय स्वतंत्रता सेनानी ‘बेला मित्रा’ के नाम पर रखा गया। ये वही साहसी महिला हैं जिन्हें नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी अपना प्रेरणास्त्रोत मानते थे।

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