सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: एनडीए की परीक्षा में अब शामिल होंगी लड़कियां

NDA
की परीक्षा में अब लड़कियां भी शामिल होंगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह
आदेश आगामी एनडीए की परीक्षा के लिए सुनाया है। हालांकि एडमिशन की प्रक्रिया कोर्ट
के आखिरी आदेश के बाद ही होगी। सुनवाई के दौरान सेना का कहना था कि  
एनडीए की परीक्षा में
लड़कियों को शामिल नहीं करना पॉलिसी डिसिजन है।
इसका जवाब
देते हुए अदालत ने कहा कि
अगर यह पॉलिसी डिसीजन है, तो यह
भेदभाव से पूर्ण है।
कोर्ट ने सेना के नीतिगत फैसले को
लैंगिक भेदभाव बताया।

फैसले
की पृष्ठभूमि क्या कहती है
?

सुप्रीम
कोर्ट ने कुश कालरा के दायर किए गए एक रिट याचिका के बाद महिलाओं को
NDA
की परीक्षा के लिए अनुमति दी है। उनकी याचिका में महिलाओं को
NDA की प्रवेश परीक्षा में बैठने की अनुमति मांगी गई थी। इस याचिका में
संविधान के अनुच्छेद
14, 15,16, और 19 के
उल्लंघन के मुद्दे पर बात की गई थी। क्योंकि यह पात्र महिलाओं की उम्मीदवारी को एनडीए
में शामिल होने के अवसर से वंचित कर रहा था।

क्या
है और कैसे होती है
NDA की परीक्षा
?

 NDA भारतीय
सशस्त्र बलों का संयुक्त रक्षा प्रशिक्षण संस्थान है। इस एकेडमी में तीन सेवाओं के
कैटेड्स को भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के पूर्व कमीशन के लिए
प्रशिक्षित किया जाता है। पूणे महाराष्ट्र में खड़कवासला में स्थित यह एकेडमी
दुनिया का पहला त्रि-सेवा एकेडमी है। एनडीए के आवेदकों का चयन यूपीएससी की परीक्षा
के द्वारा होता है। जो कि एक लिखित परीक्षा होती है। इसके बाद चयन बोर्ड
साक्षात्कार, मेडिकल टेस्ट, सामान्य योग्यता, टीम कौशल, मनोवैज्ञानिक परीक्षण,
फिजिकल और सामाजिक कौशल करता है।

लड़कियों
के परीक्षा में शामिल होने से कैसे दूर होगा भेदभाव

?

वैसे
तो और भी तरीकों से महिलाएं सेना में शामिल हो सकती हैं। पर एनडीए की इस परीक्षा
में लड़कियों को शामिल करने की बात पर चर्चा होने के पीछे जो वजह है
, उसे ज़रा आसानी से समझते हैं। दरअसल लड़कों को एकेडमी में 12वीं के बाद
शामिल होने दिया जाता है। लेकिन लड़कियों के लिए सेना में शामिल होने के जितने भी
अलग-अलग विकल्प हैं उनकी शुरूआत ही 19 साल से लेकर 21 साल तक होती है। और लड़कियों
के सेना में शामिल होने की न्यूनतम योग्यता भी ग्रेजुएशन रखी गई है। ऐसे में जब
लड़किया सेना की सेवा में जाती हैं तब तक 17 से 18 साल की उम्र में सेना में शामिल
हो चुके लड़के, स्थायी कमीशन पाए अधिकारी बन चुके होते हैं। इस भेदभाव को ही दूर
करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के द्वारा यह फैसला लिया गया है।

भले
ही लड़कियों को एकेडमी में दाखिले की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले के
बाद होगी लेकिन इस फैसले के बाद उन योग्य लड़कियों के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं
होगा जो सेना में शामिल होकर देश की सेवा करना चाहती हैं।

Avatar photo

Dr. Kirti Sisodhia

Content Writer

ALSO READ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *