IQ की तरह EQ का अच्छा होना भी जरूरी, जानें इमोशनल कोशेंट के बारे में सबकुछ



I.Q. यानी इंटेलिजेंस कोशेंट के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन मैनेजमेंट के क्षेत्र में रिसर्च यह बताती है कि प्रोफेशनली अगर सफलता चाहिए तो IQ को साथ ही EQ का भी बैलेंस होना चाहिए। दरअसल बिजनेस और अर्थ जगत के सबसे सफल लोगों का ‘इमोशनल कोशेंट’ (EQ) सबसे ज्यादा अधिक होता है।

इमोशनल कोशेंट (EQ) के बारे में

EQ यानी कि इमोशनल इंटेलिजेंस को मापने के तरीकों के बारे में लिखने वाले प्रसिद्ध लेखक ट्रेविस ब्रैडबेरी का कहना है कि, ‘किसी व्यक्ति की EQ, स्वयं और दूसरों की भावनाओं को पहचानने-समझने और खुद के व्यवहार तथा संबंधों को मैनेज करने के लिए इस जागरूकता का उपयोग करने की कैपेसिटी है।’

इमोशनल इंटेलिजेंस के 4 हिस्से होते हैं-

सेल्फ-अवेयरनेस,
सेल्फ-रेग्युलेशन (स्वनियंत्रण),

सोशल-अवेयरनेस, और सोशल स्किल्स

कमजोर EQ वाले व्यक्ति सामान्यत: दूसरों को गलत समझने में देरी नहीं करते हैं और जल्दी अपसेट हो जाते हैं, इमोशंस के से भर जाते हैं, और कुछ भी निर्णय नहीं ले पाते हैं। लेकिन हाई EQ वाले लोग इमोशंस और व्यवहार में बैलेंस कर पाते हैं, उसे समझ पाते हैं। तनावपूर्ण स्थितियों में शांत रहते हुए लोगों को एक कॉमन लक्ष्य की तरह कार्य करने के लिए प्रेरणा देते हैं। ये लोग मुश्किल से मुश्किल व्यवहार वाले लोगों को संभालाने में सक्षम होते हैं।

IQ और EQ

कई लोग EQ को IQ से अलग समझने लग जाते हैं। पर रिसर्च यह कहती है कि IQ मनुष्य की दिमाग की क्षमता का माप है और इमोशंस का जन्म भी दिमाग में अलग-अलग हॉर्मोन्स और केमिकल्स की वजह से होता है।

इसे ऐसे समझने की कोशिश करते हैं, जब खाने, शॉपिंग करने जैसी चीजों से जो खुशी महसूस करते हैं वो डोपामीन (dopamine) नामक हॉर्मोन से मिलती है। इस लॉजिक से EQ को IQ से पूरी तरह अलग कर सकते हैं। यह कहा जा सकता है हमारे दिमाग की इंटेलिजेंस का वह भाग जो हमारे इमोशंस को बैलेंस करे इमोशनल इंटेलिजेंस है और उसे नापने का तरीका इमोशनल क्योशेंट।

बढ़ा सकते हैं अपना EQ

जब भी आप किसी इमोशन में हो तो उसे पहचानना शुरू करे, जैसे गुस्सा, जिज्ञासा, बोरियत, खुशी, उदासी, डर, प्यार, घृणा, गर्व, शर्म, चिंता, फ़्रस्ट्रेशन, इनसल्ट सबकी पहचान करें कि आप कैसे हैं या ज्यादातर क्या महसूस करते हैं।

इमोशंस पर ध्यान देने के साथ इस बात पर भी गौर करें कि विशेष स्थिति में आप किस तरह का व्यवहार करते हैं। किन चीजों से आपको गुस्सा या खुशी मिलती है। सिचुएशन रिएक्शन की स्टडी करें।

एकांत में बैठें और सोचे कि किसी मुद्दे पर आपके विचार या ओपिनियन क्या हो सकते हैं। अपने लक्ष्यों को लेकर मनन करें।

खुद को आंकने के लिए नहीं लेकिन आप सही दिशा में जा रहे हैं या नहीं इसके लिए अपने करीबियों से फीडबैक जरूर लें। खुद से सवाल करें।

मन का काम करें इससे आप हर सिचुएशन में रिलिफ महसूस करेंगे और सामने जो परिस्थितियां हैं उनसे निपटने के सही फैसले ले पाएंगे।

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Dr. Kirti Sisodhia

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