HIGHLIGHTS:
- विभिन्न सेक्टर्स में सरकार की PLI योजना का मिल रहा लाभ
- PLI योजना के तहत देश में बढ़ा है निवेश
- मोबाइल फोन निर्यात में 75 फीसदी बढ़ा निर्यात- ICEA रिपोर्ट
Production-linked incentive Scheme एक ऐसी योजना है जिसे मार्च 2020 में मोदी सरकार ने प्रोत्साहन योजना के रूप में शुरू किया था। सरकार ने यह योजना भारत को मैन्यूफैक्चरिंग हब (Manufacturing Hub) के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से शुरू किया था। और अब इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) की रिपोर्ट सरकार के इस कदम को सही साबित कर रही है। इस रिपोर्ट के अनुसार पीएलआई स्कीम (PLI Scheme) की मदद से चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत का मोबाइल फोन निर्यात 43,500 करोड़ रुपए के पार जाएगा। आईसीईए (ICEA) के मुताबिक भारत का मोबाइल फोन निर्यात (Export of mobile phones from India) चालू वित्त वर्ष में अब तक लगभग 75 प्रतिशत बढ़कर 5.5 अरब डॉलर यानी कि लगभग 42,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। जो पिछले वित्त वर्ष 2020-21 के अंत में 3.16 अरब डॉलर था।
PLI स्कीम क्या है?
घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और आयात बिलों में कटौती करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने मार्च 2021 इस योजना की शुरूआत की थी। जिसकी मदद से घरेलू इकाइयों में निर्मित उत्पादों से बढ़ती बिक्री पर कंपनियों को प्रोत्साहन मिले। वहीं भारत में दुकान स्थापित करने के लिए विदेशी कंपनियों को आमंत्रित किया जाए। साथ ही इस योजना से स्थानीय कंपनियों को मौजूदा विनिर्माण इकाइयों को स्थापित करने या विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित भी किया जाए। इस योजना की अवधि पांच वर्ष स्वीकृत की गई है, जो कि नकद प्रोत्साहन देगी और सभी सनराइज और महत्वपूर्ण क्षेत्रों को इसमें शामिल किया जाएगा।
PLI स्कीम किन क्षेत्रों में लागू होगा?
- ऑटोमोबाइल
- नेटवर्किंग उत्पाद
- खाद्य प्रसंस्करण
- उन्नत रसायन विज्ञान
- सौर पीवी विनिर्माण
इस योजना की मदद से भारत में इकाइयों को स्थापित करने के लिए विदेशी कंपनियों को आमंत्रित किया जाएगा। हालांकि, इसका प्राधमिक उद्देश्य स्थानीय कंपनियों को मौजूदा विनिर्माण इकाइयों को स्थापित करने या फिर विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
स्कीम के तहत 10.5 लाख करोड़ के प्रोडक्शन का लक्ष्य
ऐसा कहा जा रहा है कि आने वाले पांच सालों की अवधि में ये कंपनियां PLI स्कीम के तहत 10.5 लाख करोड़ का प्रोडक्शन करेंगी। जिससे निर्यात की हिस्सेदारी 60 फीसदी यानी 6.5 लाख करोड़ रुपए होगी।