Susasan Tihar: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के बिल्हा ब्लॉक के ग्राम तेलसरा की महिलाओं के जीवन में सुशासन तिहार ने एक नई ऊर्जा भर दी है। यहां महिला स्व-सहायता समूहों को सामुदायिक निवेश कोष के तहत 60-60 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी गई है। इस सहायता के ज़रिए महिलाएं अब बर्तन बैंक, टेंट हाउस और दोना-पत्तल निर्माण जैसे लघु व्यवसायों की शुरुआत कर सकेंगी।
बिहान योजना बनी बदलाव की वजह
यह आर्थिक सहयोग राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की ‘बिहान’ योजना के तहत दिया गया है। इस योजना का मकसद ग्रामीण महिलाओं को खुद के पैरों पर खड़ा करना और उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है। सुशासन तिहार के दौरान आए आवेदनों पर तेज़ी से काम करते हुए प्रशासन ने यह मदद प्रदान की है।
गांव की ज़रूरतें अब गांव से ही पूरी होंगी
संतोषी माता समूह की अध्यक्ष श्रीमती सीमा सूर्यवंशी ने बताया कि उनके समूह ने गांव में टेंट की सुविधा शुरू कर दी है। पहले छोटे-बड़े आयोजनों के लिए टेंट बाहर से मंगवाना पड़ता था, लेकिन अब ये सुविधा गांव में ही मिल जाएगी।
वहीं मिनी माता समूह की अध्यक्ष श्रीमती ममता सूर्यवंशी ने बताया कि उनके समूह ने बर्तन बैंक की शुरुआत की है। इससे लोगों को आयोजनों में बर्तन किराए पर आसानी से मिल जाएंगे और महिलाओं को एक नया रोज़गार भी मिलेगा।
पर्यावरण के साथ रोज़गार भी
मां लक्ष्मी समूह की अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा बघेल ने कहा कि उनका समूह अब दोना-पत्तल निर्माण का काम शुरू करेगा। इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा और साथ ही आजीविका का नया साधन भी खुलेगा। यह पहल इको-फ्रेंडली इनकम का बेहतरीन उदाहरण बन रही है।
नवाचार से बदल रही हैं कहानियां
जय मां अंबे समूह की अध्यक्ष श्रीमती एकता यादव ने बताया कि वे दूसरी महिलाओं को भी जोड़कर नए व्यवसाय शुरू करेंगी। उन्होंने कहा कि महिलाएं आज आगे बढ़ रही हैं और अब खुद रोजगार पैदा कर रही हैं, न कि सिर्फ तलाश रही हैं।
प्रशासन भी कर रहा है पूरा सपोर्ट
जिला पंचायत के सीईओ श्री संदीप अग्रवाल ने बताया कि सुशासन तिहार के दौरान आए आवेदनों का तुरंत समाधान करते हुए सहायता दी गई है। उन्होंने महिला समूहों की तत्परता और इनोवेशन को सराहा और कहा कि प्रशासन उनका हर संभव सहयोग करता रहेगा।
मुख्यमंत्री को धन्यवाद
महिलाओं ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय का आभार जताते हुए कहा कि बिहान योजना और प्रशासनिक समर्थन से उन्हें एक सम्मानजनक और आत्मनिर्भर जीवन मिल रहा है। अब वे न केवल अपनी कमाई कर पा रही हैं बल्कि समाज में अपनी पहचान भी बना रही हैं।
फायदे
- महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का मौका
- गांव में रोज़गार के नए विकल्प
- पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद
- स्थानीय सुविधाएं गांव में ही उपलब्ध
सुशासन तिहार, उम्मीद की किरण
8 से 11 अप्रैल तक आयोजित इस आयोजन के दौरान जिले भर में आम लोगों से आवेदन लिए गए और उनके समाधान के लिए तेज़ी से काम किया गया। यह आयोजन सिर्फ एक सरकारी प्रक्रिया नहीं, बल्कि लोगों के जीवन में बदलाव लाने का सशक्त माध्यम बन रहा है।