कॉर्पोरेट इंडिया के लिए साल 2023 भी हाइब्रिड वर्क मॉडल पर बेस्ड होगा। हाल के दिनों में इसकी मांग और उपयोगिता को देखते हुए कई बड़े कॉर्पोरेट कंपनियां इसी मॉडल पर काम कर रही हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार टाटा स्टील, फ्लिपकार्ट, मैरिको, l&t माइंडट्री, बोस्टन कंसलटिंग ग्रुप और एटोन जैसी कंपनियां इस साल भी हाइब्रिड वर्क मॉडल को ही जारी रखना चाहती हैं। कंपनियां ऐसा मानती हैं कि हाइब्रिड वर्क मॉडल उसके स्टाफ के कामकाज में फ्लैक्सिबल बना रहे हैं और इससे उनका वर्क लाइफ बैलेंस मेंटेन किया जा सकता है।
क्या है हाइब्रिड वर्किंग?
हाइब्रिड वर्क फ्रॉम होम से बिल्कुल उलट है। इसके लिए कर्मचारी किसी वर्क स्टेशन में बैठकर दुनिया के किसी भी कोने में मौजूद कंपनी के लिए काम कर सकता है। इसके लिए कर्मचारी को किसी दूसरे देश में स्थित कंपनी में अपने देश में ही रहकर काम करने की सुविधा मिल पाएगी। कर्मचारी को वहां जाने की जरूरत नहीं होगी। इसके लिए कंपनी कर्मचारी के आस पास ही एक वर्क स्टेशन बनाएगी।
कोरोना महामारी के बाद से ही माइक्रोसॉफ्ट सहित सभी बड़ी आईटी कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए हाइब्रिड वर्किंग का ऑप्शन देख रही थी। कुछ महीने पहले ही माइक्रोसॉफ्ट ने इस सुविधा को शुरू किया था।
असल में हाइब्रिड वर्क मॉडल (hybrid model) स्टाफ और कंपनी दोनों की जरूरतों के अनुरूप होता है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि नौकरी करने वाले स्टाफ भी फ्लैक्सिबिलिटी चाहते हैं। वे अपने परिवार को समय दे सकते हैं जबकि टीम, कलीग और दोस्तों के साथ भी समय भी बिता सकते हैं।
एक और रिपोर्ट में कहा गया है कि हाइब्रिड वर्क मॉडल (hybrid model ) की वजह से एम्पलाई कहीं ज्यादा अधिक प्रोडक्टिव साबित होते हैं। वहीं कंपनियों को भी स्टाफ से अधिक काम लेने में मदद मिल जाती है। फ्लिपकार्ट के चीफ पीपल ऑफिसर कृष्णा राघवन की एक अखबार में छपे इंटरव्यू के अनुसार “फ्लिपकार्ट के स्टाफ पिछले कुछ महीने से हाइब्रिड वर्क मॉडल (hybrid model) पर काम कर रहे हैं. फ्लिपकार्ट आने वाले समय में भी अपने वर्क स्टाइल को फ्लैक्सिबल रखेगी और एंप्लॉई की जरूरत और बाहरी कारक की डिमांड के हिसाब से कामकाज का मॉडल चेंज होता रहेगा।”