Ratan Tata: दिग्गज बिजनेसमैन रतन टाटा ने बुजुर्गों के लिए काम करने वाले स्टार्टअप ’Goodfellows’ में इनवेस्टमेंट किया है। रतन टाटा (Ratan Tata) के इस निवेश के पीछे का उद्देश्य युवाओं और शिक्षित स्नातकों को सार्थक सहयोग के लिए जोड़कर बुजुर्गों की मदद करना है। पिछले छह महीनों में, ‘गुडफेलो’ (Goodfellows) ने एक सफल बीटा को पूरा किया है। और अब यह मुंबई के बाद जल्दी ही पुणे, चेन्नई और बेंगलुरु में उपलब्ध हो जाएगा।
दो पीढ़ियों के बीच संबंध को मजबूत करेगा ‘गुडफेलो’ (Goodfellows)
रतन टाटा (Ratan Tata) ने ‘गुडफेलो’ (Goodfellows) के कार्यक्रम के दौरान कहा कि गुडफेलो (Goodfellows) द्वारा बनाई गई दो पीढ़ियों के बीच के बंधन बहुत ही सार्थक हैं और यह भारत में एक महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दे को संबोधित करने के लिए मदद करने में सहायक साबित हो रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि ‘गुडफेलो’ (Goodfellow) में निवेश युवा टीम को बढ़ने में मदद करेगा।
‘गुडफेलो’ को मिल रही है सकारात्मक प्रतिक्रिया
‘गुडफेलो’ (Goodfellows) के बीटा परीक्षण के दौरान, गुडफेलो में नौकरी की तलाश कर रहे युवा स्नातकों के 800 से अधिक आवेदन मिले, जो यह दर्शाता है कि ‘गुडफेलो’ (Goodfellows) को सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। जिनमें से 20 के एक शॉर्टलिस्टेड ग्रुप ने मुंबई में बुजुर्गो को सहयोग सेवा भी दिया। गुडफेलो (Goodfellows) नौकरी की तलाश में स्नातकों को अल्पकालिक इंटर्नशिप के साथ-साथ रोजगार भी दिया जा रहा है।
गुडफेलो का बिजनेस मॉडल
यह एक फ्रीमियम सब्सक्रिप्शन मॉडल है। जिसमें बुजुर्गों को इस सेवा का अनुभव कराने के लक्ष्य के साथ पहला महीना बिल्कुल फ्री है। दूसरे महीने के बाद एक छोटा सा मेंबर शुल्क देना होगा। जो पेंशनभोगियों की सीमित क्षमता के आधार पर तय है। स्टार्टअप (Startup) की तरफ से कहा गया है कि भारत में 1.5 करोड़ बुजुर्ग अकेले रहते हैं, वे या तो साथी के खोने के कारण, या परिवार में किसी भी कारण से दूर जा रहे हैं, तो गुडफेलो (Goodfellows) उनके लिए कुछ सार्थक करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
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