केंद्र
सरकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए 23 फरवरी को राष्ट्रीय
मौद्रीकरण पाइपलाइन योजना की शुरूआत की। इसके लिए सरकार अपनी कोई भी संपत्ति नहीं
बेचेगी। साथ ही सरकार का यह मानना है कि इससे वित्त वर्ष 2022 से लेकर वर्ष 2025
तक 6 लाख करोड़ की कमाई होगी। स्कीम को लॉच करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
ने कहा कि– “NMP योजना सिर्फ ब्राउनफील्ड असेट्स
के लिए है। यानी कि ऐसी संपत्तियां, जिनमें केंद्र सरकार का
निवेश है और जहां संपत्ति या तो बेकार पड़ी है या फिर उससे पूरी तरह कमाई नहीं हो
पा रही है या फिर उसका पूरा इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है।“ सरकार
की इस एनएमपी योजना से भारतीय अर्थव्यवस्था को कितना लाभ है और यह कैसे काम करेगा? इसे आसान भाषा में इस तरह से समझ सकते हैं।
क्या
है NMP योजना ?
एनएमपी
का पूरा नाम ‘नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन’ है। मोनेटाइजेशन का मतलब होता है मुद्रीकरण यानि कि कोई भी ऐसी चीज जिससे
पैसा बनाया जा सकता है ‘मुद्रीकरण’
कहलाता है। इस योजना के तहत भारत सरकार सरकारी
कंपनियों में विनिवेश के जरिए इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को फंड करेगी। इसमें
तीन मुख्य सेक्टर्स को चिन्हित किया गया है। जिनमें रेलवे, एयर पोर्ट और कोल
माइनिंग शामिल है। इस योजना में 15 रेलवे स्टेशन, 25 एयरपोर्ट और लगभग 160 माइनिंग
प्रोजेक्ट को मॉनेटाइज किया जाएगा। इसके अलावा रोड, पॉवर ट्रांसमिशन लाइन और गैस
पाइपलाइन को भी मॉनेटाइज करने का प्लान सरकार ने बनाया है।
अगर
आप यह सोच रहें हैं कि क्या सरकार इन सरकारी संपत्तियों को बेच रही है तो ऐसा नहीं
है। सरकार की यह योजना सिर्फ कमाई का एक जरिया मात्र है। इन संपत्तियों पर सरकार
का मालिकाना हक बना रहेगा। सरकार के साथ निजी कंपनियां अनुबंध के तहत भागीदारी
देंगी।
NMP
योजना से देश को लाभ
नेशनल
मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (NMP), नेशनल
इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (NIP) के समन्वय के साथ काम करेगी।
सरकार NIP के लिए 102 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी है। भारत
सरकार के इस कदम से निवेश किये पैसों से पैसा कमाया जा सकेगा जिससे सरकारी खजाने
को लाभ होगा साथ ही इन पैसों से । देश की जनता के लिए काम किया जाएगा। कोविड
महामारी की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान झेलना पड़ा है। ऐसे में
सरकार की यह एनएमपी योजना से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। एसेट
मॉनेटाइजेशन वित्त पोषण के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प साबित हो सकता है। यानी कि
अलग-अलग विभागों की आवश्यकता के अनुसार धन के प्रबंधन से भारत की पूंजी को बढ़ाने
की ओर ध्यान दिया जाएगा।