कभी सोचा है? आपके निवेश का क्या होगा अगर।।। आप अपनी मेहनत की कमाई से शेयर, म्यूच्यूअल फंड आदि में निवेश करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर आपके साथ कोई अनहोनी हो जाए तो इन निवेशों का क्या होगा?
चौंकाने वाली बात ये है कि बहुत से लोग अपने निवेशों में, चाहे वो डीमैट अकाउंट (Demat account) हों, बैंक खाते हों या बीमा पॉलिसी, नामांकन (Nominee) करना भूल जाते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में करीब 50,000 से 80,000 करोड़ रुपये मूल्य के निवेश सिर्फ नामांकन ना होने की वजह से अटके हुए हैं। इसका मतलब है कि ये रकम असल हकदारों तक नहीं पहुंच पा रही है।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने इस समस्या को दूर करने की पहल की है। SEBI ने एक परामर्श पत्र जारी किया है, जिसमें डीमैट अकाउंट (Demat Account) और अन्य प्रतिभूतियों के लिए नामांकन प्रक्रिया को आसान बनाने का प्रस्ताव दिया गया है।
नामांकन क्यों जरूरी है?
डीमैट अकाउंट (Demat Account) में नामांकन करना आपके और आपके परिवार के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। नामांकित व्यक्ति आपके जाने के बाद आपके शेयरों, बॉन्ड्स और म्यूच्यूअल फंड को कानूनी रूप से आपके उत्तराधिकारियों (Heirs) तक पहुंचाने में मदद करता है। नामांकन ना होने पर आपके निवेश या तो खो सकते हैं या फिर लंबे कानूनी झमेले में फंस सकते हैं। इतना ही नहीं, नामांकन ना होने से आपके परिवार को आर्थिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है।
SEBI का परामर्श पत्र क्या कहता है?
SEBI का परामर्श पत्र नामांकन प्रक्रिया से जुड़े सभी सवालों को स्पष्ट करने का प्रयास करता है। यह ध्यान रखना जरूरी है कि परामर्श पत्र सिर्फ सुझावों का दस्तावेज होता है। ये सुझाव कानून नहीं बनते बल्कि चर्चा और विचार-विमर्श के लिए होते हैं। परामर्श पत्र मुख्य रूप से तीन विषयों पर चर्चा करता है,
- नामांकन प्रक्रिया किन निवेशों पर लागू होगी
- कानूनी उत्तराधिकारियों और वसीयत के संबंध में नामांकित व्यक्ति की भूमिका
- नामांकन करने की प्रक्रिया
परामर्श पत्र में इस बात को भी स्पष्ट किया गया है कि नामांकन पूरी तरह से वैकल्पिक है। SEBI यह सिफारिश करता है कि अगर किसी व्यक्ति के डीमैट अकाउंट (Demat Account) में सिर्फ एक ही व्यक्ति का नाम है, तो उसे स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि वो नामांकन नहीं करना चाहता/चाहती।
नामांकित व्यक्ति और कानूनी उत्तराधिकारी में अंतर
यह एक आम भ्रम है। नामांकित व्यक्ति कानूनी उत्तराधिकारी नहीं होता। नामांकित व्यक्ति सिर्फ एक तरह का ट्रस्टी होता है, जिसकी जिम्मेदारी आपके जाने के बाद आपके शेयरों को आपके वसीयत या कानून के अनुसार सही उत्तराधिकारियों तक पहुंचाना होता है। कानूनी उत्तराधिकारी वो लोग होते हैं जिन्हें कानून के अनुसार आपके निवेश का हक मिलता है, उदाहरण के लिए आपका जीवनसाथी, बच्चे या माता-पिता।
आसान नामांकन प्रक्रिया
SEBI का परामर्श पत्र नामांकन करने की प्रक्रिया को डिजिटल तरीके से आसान बनाने का सुझाव देता है। इसमें डिजिटल हस्ताक्षर या आधार आधारित ई-हस्ताक्षर की अनिवार्यता शामिल है। नामांकित व्यक्ति की पहचान भी देनी होगी। इसके अलावा, अंगूठे के निशान और सत्यापन के साथ फिजिकल नामांकन की प्रक्रिया भी जारी रखने का प्रस्ताव है।
कब और कैसे करें नामांकन?
- Demat खाता खोलते समय।
- जब आपकी वैवाहिक स्थिति में बदलाव हो।
- जब आपके बच्चे हों।
- जब आप अपनी संपत्ति का वितरण बदलना चाहते हों।
- जब आप किसी खास व्यक्ति को अपनी संपत्ति देना चाहते हों।
कैसे करें नामांकन?
- डिजिटल तरीके से
- अपने Demat खाता प्रदाता की वेबसाइट या ऐप पर जाएं।
- नामांकन फॉर्म भरें।
- डिजिटल हस्ताक्षर या आधार आधारित ई-हस्ताक्षर करें।
- नामांकन शुल्क का भुगतान करें (यदि लागू हो)।
फिजिकल तरीके से
- अपने Demat खाता प्रदाता से नामांकन फॉर्म प्राप्त करें।
- फॉर्म भरें।
- अपने हस्ताक्षर करें।
- फॉर्म को अपने डीमैट अकाउंट (Demat Account)प्रदाता को जमा करें।
नामांकन करते समय ध्यान रखें
- आप एक या एक से अधिक नामांकित व्यक्तियों का नाम दे सकते हैं।
- आप नामांकित व्यक्तियों के बीच शेयरों का वितरण तय कर सकते हैं।
- आप नामांकित व्यक्तियों के लिए वैकल्पिक नामांकित भी चुन सकते हैं।
- नामांकन करने के बाद, आपको अपने नामांकित व्यक्ति को नामांकन के बारे में सूचित करना चाहिए।
यह भी ध्यान रखें
- नामांकन रद्द करने या बदलने के लिए आपको अपने डीमैट अकाउंट (Demat Account)प्रदाता को सूचित करना होगा।
- नामांकन के बाद भी आप अपने डीमैट अकाउंट (Demat Account)में शेयरों को खरीद, बेच या गिरवी रख सकते हैं।
Positive सार
अपने Demat खाते में नामांकन करना एक आसान सी प्रक्रिया है जो आपके निवेशों को सुरक्षित रखने में आपकी मदद कर सकती है और आपके परिवार के भविष्य को सुरक्षित करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। नामांकन करना आसान है और इसे डिजिटल या फिजिकल तरीके से किया जा सकता है। SEBI का परामर्श पत्र नामांकन प्रक्रिया को आसान बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।