Consumer Rights: उपभोक्ता कानून या उपभोक्ता अधिकार, एक ऐसी चीज है जिसे हर किसी को जानाना जरूरी है। लोकतंत्र ने उपभोक्ता होने के नाते हमें कई अधिकारी दिए हैं और हमारे अधिकारों को बचाने के लिए कानून भी बनाए गए हैं। आइए जानते हैं क्या है उपभोक्ता अधिनियम और इससे कैसे उपभोक्ता अपने अधिकारों की रक्षा कर सकता है।
क्या कहता हैं यह अधिनियम ?
कंज्यूमर प्रोजेक्टशन एक्ट 1986 व्यापार और उद्योग के शोषण से लोगों को बचाने के लिए बनाए गए हैं। इस एक्ट में साफ किया गया है कि- “कोई भी व्यक्ति, जो अपने उपयोग के लिए वस्तुएं एवं सेवाएं खरीदता है और उसका उपभोग करता हैं वह उपभोकता कहलाता है।” कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत, उपभोक्ताओं को अपने राइट्स का उपयोग करने का पूरा अधिकार है। वो अपने अधिकारो के लिए अदालतों में मामला भी दर्ज करा सकते हैं।
कब कर सकते हैं शिकायत?
उपभोक्ता कानूनों के अनुसार अगर कोई व्यापारी प्रतिबंधित सामान बिना सूचना के बेचता है, खरीदा गया सामान समय से पहले खऱाब हो जाए और उसे रिप्लेस ना किया जाए, उपभोक्ता के साथ किसी तरह की ठगी हुई हो, प्रचार में बताए गई बातें पूरी तरह से झूठी निकले, पहले से बताई गई सेवाओं में जानबूझकर कोई कमी की गई हो। ली गई सेवा या सामान से उपभोक्ता को किसी तरह की स्वास्थ्य की हानि हुई हो।
शिकायत कहां और कैसे की जाये?
यदि हमारे साथ कोई धोखाधड़ी हो जाये तो नुकसान हुई राशी बताती है कि हमें शिकायत कहां करनी है। अगर यह राशि 20 लाख रूपये से कम है तो जिला फोरम में शिकायत की जा सकती हैं। यदि यह राशि 20 लाख रूपये से ज्यादा है लेकिन एक करोड़ रूपये से कम है तो राज्य आयोग में शिकायत करें। अगर राशी एक करोड़ रूपए से ज्यादा है तो राष्ट्रीय आयोग में शिकायत की जाती है।
क्या है शिकायत का प्रोसेस?
उपभोक्ता अपनी शिकायत सादे कागज पर लिखकर कर सकता है। इस लेटर में शिकायतकर्ताओं और दोषी का नाम, पता, शिकायत से जुड़े सभी तथ्य लिखे होने चाहिए। इसके साथ यह सब कहां और कैसे हुआ इसका विवरण में लिखना होगा। पूरी कार्रवाई के लिए किसी वकील की जरूरत नहीं होती। कोर्ट में सिर्फ नॉमिनल फीस देनी होती है।