Chabahar Port of Iran: भारत और ईरान के बीच चाबहार पोर्ट को लेकर महत्वपूर्ण समझौता हुआ है। ये समझौता 10 सालों के लिए हुआ है। जिसके बाद अब भारत चाबहार पोर्ट का परिचालन करेगा। जानते हैं इस महत्वपूर्ण समझौते से भारत को क्या फायदा होगा साथ ही ये भी जानेंगे कि कहां पर है चाबहार पोर्ट?
कहां है चाबहार पोर्ट?
चाबहार एक डीपवाटर पोर्ट है, जो ईरान में स्थित है। ये ओमान की खाड़ी से जुड़ा है। ये ईरान का पहला डीपवाटर पोर्ट भी कहलाता है। दरअसल चाबहार पोर्ट दुनियाभर के समुद्रीय व्यापार से जुड़े रूट से जोड़ने का काम करता है। ये बंदरगाह पाकिस्तान के साथ ईरान की सीमा के पश्चिम में मौजूद है। बता दें कि पाकिस्तान के पास अपना ग्वादर बंदरगाह है जिसे चीन ने बनवाया है।
पहली बार कब चर्चा में आया?
चाबहार पोर्ट (Chabahar Port) पहली बार तब चर्चा में आया था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ईरान के तेहरान गए थे। ये बात साल 2017 की है। इसके बाद साल 2021 में ताशकंद के एक कार्यक्रम भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चाबहार बंदरगाह को अफगानिस्तान समेत एक प्रमुख ट्रांजिट हब के रूप में प्रस्तुत किया था।
क्यों महत्वूपर्ण है चाबहार?
चाबहार भारत और ईरान के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम करता है। ये पोर्ट तेहरान को उस समय भी समुद्री व्यापार करने में मदद करेगा जब पश्चिम देश किसी तरह की पाबंदी लगाएंगे। चाबहार पोर्ट (Chabahar Port) भारत के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि समुद्रीय व्यापार के लिए देश को अब पाकिस्तान को बायपास करना मुश्किल नहीं होगा। ये पोर्ट पाकिस्तान को बाईपास करने के लिए नये विक्ल्प के रूप में मौजूद होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान अफगानिस्तान और मध्य एशिया में व्यापार के लिए भारत को अपनी जमीन का इस्तेमाल करने नहीं देता है।
भारत से क्या रिश्ता ?
इस बंदरगाह के विकास में भारत की भागीदारी साल 2002 में शुरू हुई जब राष्ट्रपति सैयद मोहम्मद खातमी के तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हसन रूहानी ने भारत के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर ब्रजेश मिश्रा के साथ बातचीत की थी। इसके एक साल बाद खातमी की भारत यात्रा पर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिले थे। तब रणनीतिक सहयोग के रोडमैप पर हस्ताक्षर हुए थे। जिसमें से एक प्रमुख प्रोजेक्ट चाबहार थी।
प्वाइंट्स में समझें क्यों जरूरी चाबहार?
- चाबहार अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे भी हिस्सा है, जो एक मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्टेशनल प्रोजेक्ट है।
- यह प्रोजेक्ट हिंद महासागर और फारस की खाड़ी को ईरान के जरिए कैस्पियन सागर और रूस में सेंट पीटर्सबर्ग के माध्यम से उत्तरी यूरोप तक जोड़ने का काम करता है।
- माल ढुलाई के लिए जहाज, रेल और सड़क मार्ग का यह 7,200 किलोमीटर लंबा नेटवर्क के रूप में है। इसमें चाबहार महत्वपूर्ण है।
- इस पोर्ट से सीधे तौर पर भारत के लिए समुद्रीय व्यापार के रास्ते खुलेंगे।
- अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे में भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप से जुड़ सकेगा।
Positive सार
भारत के आर्थिक रणनीति के तहत ये पोर्ट काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसके अलावा भारत के बड़े इकोनॉमी बनने की राह आसान होगी। साथ ही पाकिस्तान के किसी भी हस्तक्षेप पर अब भारत व्यापारिक रूप से प्रभावित नहीं होगा।