हाली ही में देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारण ने देश का बजट पेश किया। हर बार बजट में अलग-अलग सेक्टर्स जैसे कृषि, शिक्षा और व्यापार के लिए सरकार एक फिक्स अमाउंट का बजट पास करती है। ये बजट करोड़ों-अरबों का होता है। क्या आपको बता है वित्त मंत्रालय के पास इतना पैसा कहां से आता है? सरकार का सोर्स ऑफ इनकम क्या है? और सरकार कैसे अपनी आय-व्यय के बीच बैलेंस बनाती है। आइए आज हम आपको सरल शब्दों में समझाते हैं कि देश के पास देश चलाने के लिए इतना पैसा कहां से आता है।
कहां से आता है सरकार के पास पैसा?
सरकार के पास पैसा अलग-अलग जगहों से आता है जिसमें डायरेक्ट टैक्स, इन डायरेक्ट टैक्स, लोन, इनवेस्टमेंट्स से होने वाला मुनाफा शामिल है। सरकार कुछ पैसे लोन पर भी लेती है। इन सभी सोर्सेस से होने वाली कमाई का हिस्सा लगभग फिक्स होता है। इसे हम इस तरह से समझ सकते हैं। अगर सरकार को एक रुपए की कमाई होती है तो उस एक पैसे के-
- 19 पैसे- इनकम टैक्स से आएंगे
- 17 पैसे कॉरपोरेट टैक्स से आएंगे
- 28 पैसे दूसरे कर्जदारों से आएंगे
- 18 पैसे जीएसटी से आएंगे
- 5 पैसे एक्साइज ड्यूटी से आएंगे
- 4 पैसे कस्टम से आएंगे
- 1 पैसा नॉन डेट कैपिटल रिसिप्ट से आएगा
- 7 पैसे नॉन टैक्स रिसिप्ट से आएगा
खर्च का हिस्सा भी है तय
जिस तरह से सरकार के पास अलग-अलग सोर्स से रेवेन्यू आता है उसी तरह से इसे कहां, कितना खर्च करना है उसका भी प्रतिशत तय किया जाता है। बजट में वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, बड़े अर्थशास्त्री, वित्त मंत्रालय के बड़े मंत्रियों की मदद से देश के हर वर्ग को ध्यान में रखकर पूरा रोड मैप तैयार किया जाता है। यहीं पर तय होता है कि किस सेक्टर और किस मंत्रालय को कितने बजट की जरूत है। आइए जानते हैं कहां-कहां खर्च होते हैं सरकार के पैसे। इसे हम इस तरह से समझ अगर सरकार का बजट 1 रुपया है तो उस एक रुपए का हिस्सा इस तरह से खर्च होता है-
- ब्याज देने में खर्च होते हैं- 20 पैसे
- केंद्र की प्रायोजित योजनाओं पर खर्च होते हैं- 8 पैसे
- केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं पर खर्च होंते हैं- 16 पैसे
- सब्सिडी पर- 6 पैसे
- रक्षा पर खर्च होते हैं – 8 पैसे
- वित्त आयोग पर- 8 पैसे
- करों और शुल्कों में राज्यों के लिए हिस्सा- 20 पैसे
- पेंशनर्स पर- 4 पैसे
- सरकार के दूसरे खर्च- 9 पैसे
Positive सार
बता दें कि देश के अलग-अलग सेक्टर्स पर खर्च किए जाने का ये हिस्सा कम या ज्यादा किया जा सकता है। जैसा कि कोविड के बाद पेश किए गए बजट को लेकर वित्त मंत्री ने स्पष्ट कर दिया था कि- “इस बार का बजट पिछले 100 सालों के बजट की तुलना में बिल्कुल अलग होगा। आय-व्यय के जरिए में भी बदलाव हो सकता है।”