

कोविड महामारी के बाद अब पूरी दुनिया में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। कोविड के मुश्किल दौर के बाद दुनिया के बड़े देश अब हेल्थ वर्कर्स और खासकर नर्सेज की कमी की चुनौतियों से दो चार हो रही है। वहीं दुनियाभर में आवाजाही भी शुरू हो गई है, ऐसे में जर्मनी से लेकर संयुक्त अरब अमीरत और सिंगापुर तक में नर्सों को वीसा और बेहतर वेतन का ऑफर मिल रहा है।
क्या कहती है इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेज?
इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेज के अनुसार आने वाले सालों में 1.30 करोड़ नर्स और हेल्थ वर्कर्स की जरूरत पड़ने वाली है। एक अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च के अनुसार, वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल स्टाफिंग क्षेत्र सालाना 6.9% की दर से बढ़ा है और आगे भी इसके बढ़ने की संभावना है। 2030 तक इस क्षेत्र में 5.17 लाख करोड़ यानी कि कुल 63 बिलियन डॉलर खर्च किया जाएगा।
भारत और फिलीपींस की सेवाओं पर दुनिया को दुनिया को भरोसा
दुनियाभर में सबसे ज्यादा नर्सेज और हेल्थ वर्कर्स भारत और फिलिपींस से अपनी सेवा देते हैं। जर्मनी की सरकार ने फिलीपींस से 600 नर्सेज की नियुक्ति के लिए एक करार भी किया है। जर्मनी सरकार यात्रा खर्च देने के साथ ही रहने के लिए घर का भी ऑफर दे रही है।
संयुक्त अरब अमीरत (UAE) ने इस साल फरवरी में भारत से नर्सेज और हेल्थ वर्कर्स के लिए टाइअप किया था। देश ने 10 साल तक खाड़ी देश में रहने के लिए ‘गोल्डन वीसा’ की पेशकश भी कर दी है। वहीं ब्रिटेन ने केन्या, मलेशिया और नेपाल के साथ बीते एक साल में बेरोजगार हुए स्वास्थ्य कर्मचारियों को अपने यहां नियुक्ति देने का अनुबंध किया है। जिनमें कुछ में यात्रा और ट्रेनिंग खर्च भी दिया जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, कनाडा, चिली, चेक गणराज्य, डेनमार्क, एस्टोनिया फिनलैंड, ग्रीस, हंगरी, आइसलैंड, आयरलैंड, इजरायल, इटली, जापान, पुर्तगाल, स्लोवाक गणराज्य, स्लोवेनिया, स्पेन, स्वीडन, स्विस्टजरलैंड, तुर्की जैसे देशों में सबसे ज्यादा विदेशों से खासकर भारत की नर्सेज काम कर रही हैं। निश्चित ही भारतीय हेल्थ वर्कर्स को इस स्थिति का लाभ लेना चाहिए।