भारत की प्राकृतिक सुंदरता को एक बार फिर यूनेस्को की लिस्ट में शामिल किया गया है। इस बार अपनी प्राकृतिक सुंदरता की पहचान रखने वाले मेघालय के लिविंग ब्रिज को यूनेस्को की लिस्ट में जगह दी गई है। मेघालय के गांवों में लोगों और प्रकृति के बीच सामाजिक-सांस्कृतिक, सामाजिक और वानस्पतिक संबंधों को उजागर करने वाले ‘जिंगकींग जेरी या लिविंग रूट ब्रिज (Jingkieng Jri or Living Root Bridge) यूनेस्को विश्व धरोहर की संभावित सूची में आ गया है।
क्यों खास है ब्रिज ?
यह ब्रिज गांव वालों के कड़ी मेहनत के फल स्वरूप 10 से 15 वर्षों में जलाशयों के दोनों किनारों पर ‘फिकस इलास्टिका’ के जड़ो से बने हैं ,अभी, राज्य के 72 गांवों में फैले लगभग 100 ज्ञात जीवित रूट ब्रिज हैं। ग्रामीण, खासी और जयंतिया आदिवासी समुदाय 600 से अधिक वर्षों से इन पुलों का निर्माण और देखरेख करते आये हैं।
मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड के संगमा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर पोस्ट कर यह कहा कि- ‘यह बताते हुए मुझे खुशी हो रही है कि ‘जिंगकिएंग जेरी: लिविंग रूट ब्रिज कल्चरल लैंडस्केप्स ऑफ मेघालय’ (Jingkieng Jri: Living Root Bridge Cultural Landscapes of Meghalaya) को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की अस्थायी लिस्ट में शामिल किया गया है।’ उन्होंने कहा कि ‘मैं इस आगे बढ़ रही यात्रा में समुदाय के सभी सदस्यों और हितधारकों को शुभकामनाएं देता हूं।’
इनके अलावा महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र के जियोग्लिफ्स, आंध्र प्रदेश के लेपाक्षी में श्री वीरभद्र मंदिर और मोनोलिथिक बुल (नंदी) भी 2022 की अस्थायी सूची में शामिल हैं।