Story of Raipur becoming the capital: छत्तीसगढ़ की धरती पर अनेक सभ्यताओं और राजवंशों का उदय हुआ। जिन्होंने अपने शौर्य और शासन से इस क्षेत्र को अद्वितीय गौरव प्रदान किया। इनमें से एक महत्वपूर्ण राजवंश था कलचुरियों का, जिन्होंने अपनी राजधानी रतनपुर को बनाया और दीर्घकाल तक शासन किया। कलचुरी से लेकर आधुनिक भारत तक में मराठों ने भी छत्तीसगढ़ की राजधानी के रूप में रतनपुर से ही सारे प्रशासनिक कार्य किए तो फिर ऐसा क्या हुआ कि रतनपुर को छोड़कर रायपुर में राजधानी बनाई गई।
रतनपुर का इतिहास
रतनपुर को कलचुरी राजा रत्नदेव प्रथम ने अपनी राजधानी बनाया। राजा रत्नदेव प्रथम के शासनकाल में, लगभग 11वीं शताब्दी में, यहाँ का प्रसिद्ध महामाया देवी का मंदिर बनाया गया था। इस मंदिर का निर्माण एक दिव्य घटना के बाद हुआ। दरअसल राजा रत्नदेव जब मणिपुर गाँव में शिकार के लिए गए थे। मणिपुर ही आज का रतनपुर है।
राजा जब विश्राम करने रूके तब उन्होंने वटवृक्ष के नीचे अलौकिक प्रकाश देखा। उस दृश्य से प्रभावित होकर उन्होंने मणिपुर यानी की रतनपुर को अपनी राजधानी बनाने का निर्णय लिया और 1050 ईस्वी में महामाया देवी का भव्य मंदिर निर्मित कराया। यह मंदिर आज भी श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।
कैसे बनी रायपुर राजधानी?
रतनपुर से रायपुर की यात्रा भी ऐतिहासिक घटनाओं से भरी हुई है। 14वीं शताब्दी में, कलचुरियों के राज्य विभाजन के परिणामस्वरूप रायपुर नगर की स्थापना हुई। रायपुर में हैह्यवंशी कलचुरियों की एक शाखा ने अपनी राजधानी स्थापित की। राजा रामचंद्र ने इस नगर को राजधानी बनाया, और उनके पुत्र ब्रम्हदेव राय के नाम पर इसे ‘रायपुर’ नाम दिया गया।
ऐतिहासिक है कहानी
रायपुर, कलचुरियों के शासनकाल में एक प्रमुख नगरी के रूप में उभरा। इस क्षेत्र की सुरक्षा के लिए कलचुरियों ने एक किला बनवाया, जिसके चारों ओर तालाब और सुरंगों का निर्माण किया गया। ब्रम्हपुरी के पास स्थित इस किले के भग्नावशेष आज भी विद्यमान हैं। किले की सुरक्षा के लिए बनाए गए तालाबों में बूढ़ा तालाब, महाराजबंद, कंकाली तालाब आदि शामिल हैं। इन तालाबों और सुरंगों की कहानियाँ आज भी इस क्षेत्र की धरोहर का हिस्सा हैं।
18वीं शताब्दी में, मराठाओं ने रायपुर में अपनी सत्ता स्थापित की। हैह्यवंशी कलचुरियों के अंतिम शासक राजा अमर सिंहदेव को पदच्युत कर, मराठा शासक रघुजी के पुत्र बिम्बाजी ने 1758 ईस्वी में रायपुर को छत्तीसगढ़ की राजधानी बनाया। मराठा शासनकाल में रायपुर एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक केन्द्र बन गया।
स्वतंत्रता के बाद रायपुर
स्वतंत्रता के बाद, नवंबर 2000 में, छत्तीसगढ़ को एक नए राज्य के रूप में मान्यता मिली और रायपुर को इस नवगठित राज्य की राजधानी बनने का गौरव प्राप्त हुआ। आज रायपुर छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख शहरी केंद्र है, जो न केवल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि एक तेजी से विकसित होता आधुनिक नगर भी है।
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Positive सार
रायपुर और रतनपुर की यह यात्रा हमें यह सिखाती है कि समय के साथ एक नगर की पहचान कैसे बदलती है, लेकिन उसकी धरोहर और इतिहास सदैव जीवित रहते हैं। कलचुरियों की राजधानी से लेकर मराठाओं के शासन और फिर ब्रिटिश प्रशासन तक, रायपुर ने अनेक परिवर्तनों का सामना किया, लेकिन यह नगर सदैव अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को संजोए हुए है। आज भी, रायपुर के किले, मंदिर, तालाब, और सुरंगें इस क्षेत्र के गौरवशाली अतीत की कहानी कहते हैं।