“ऑपरेशन सिंदूर” भारतीय सेना के इतिहास में एक ऐसा साहसिक अभियान रहा, जिसने न सिर्फ दुश्मन को करारा जवाब दिया, बल्कि इसमें देश की दो जांबाज़ महिला अधिकारियों की भूमिका ने पूरे देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। कर्नल सोफिया कुरैशी तथा विंग कमांडर व्योमिका सिंह— इन दोनों ने ऑपरेशन सिंदूर की अगुवाई कर यह सिद्ध कर दिया कि देश की बेटियाँ भी हर मोर्चे पर अदम्य साहस और नेतृत्व क्षमता का परिचय दे सकती हैं। इन दोनों वीरांगनाओं की गाथा देशभक्ति, साहस और नारी शक्ति का प्रतीक बन चुकी है।
कर्नल सोफिया कुरैशी
वड़ोदरा गुजरात की रहने वाली हैं. ये भारतीय सेना के सिग्नल कोर की अधिकारी हैं। ऑपरेशन सिंदूर में इन्होंने Pakistan occupied Jammu Kashmir और पकिस्तान के terror camps पर स्ट्राइक्स को लीड किया जिसमें मुरीदके, कोटली और बहावलपुर शामिल हैं.
कर्नल सोफिया कुरैशी अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी से हैं, जो सेना में अपनी सेवा दे रही हैं। देशभक्ति का जूनून उनके पूरे परिवार की रगों में दौड़ता है।
सोफिया ने कॉलेज के बाद पीएचडी करने की सोची लेकिन मन तो देश सेवा में रहा. वे अपनी पीएचडी बीच में ही छोड़ कर 1999 में सेना में शामिल हो गई।
इन्होंने चेन्नई की ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी में प्रशिक्षण लिया और सेना में लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन प्राप्त किया। ये भारतीय सेना की पहली महिला अफसर हैं, जिन्होंने फोर्स 18 में ट्रेनिंग टुकड़ी को लीड किया।
विंग कमांडर व्योमिका सिंह
भारतीय वायुसेना की साहसी महिला अधिकारी हैं विंग कमांडर व्योमिका सिंह. इन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में मिशन execution और हेलीकाप्टर ऑपरेशन को लीड किया.
व्योमिका का मतलब है “आकाश की बेटी”. उनका नाम ही उनके जूनून और जज्बे को दर्शाता है।
लखनऊ की रहने वाली व्योमिका ने 21वें शॉर्ट सर्विस कमीशन में भारतीय वायुसेना में कमीशन प्राप्त किया और 2017 में विंग कमांडर बनी।
व्योमिका एक अनुभवी हेलीकॉप्टर पायलट हैं और वे चेतक और चीता हेलीकॉप्टरों को चलाने में माहिर हैं. उनके पास 2,500 घंटे से अधिक का उड़ान अनुभव है।
उन्हें विषम परिस्थितियों में नागरिक सुरक्षा एवं बचाव अभियानों का खासा अनुभव है।