Chausath Yogini: इससे प्रेरित है पुराना संसद भवन? रहस्यमयी है इतिहास!

Chausath Yogini: भारतीय इतिहास में कई मंदिर और खूबसूरत धरोहरों का जिक्र है। जिनकी वास्तुकला और नक्काशी पूरी दुनिया के लिए आश्चर्य है। ऐसी ही भारतीय मंदिरों में शामिल हैं मध्यप्रदेश का चौसठ योगिनी मंदिर। जिसका इतिहास समृद्धता के साथ कई रहस्यों से भरा है। जानते हैं क्या है इस मंदिर की खासियत..

इतिहास का साक्षी है चंबल का ये मंदिर

हिंदुस्तान का दिल यहां धड़कता है। सिंचित नदियां कई सभ्यताओं के होने का अहसास करवाती हैं। लहलहाते फसल जीवन के कालचक्र को दर्शाते हैं और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि बताती है कि मध्यप्रदेश को यूं ही संस्कारधानी नहीं कहा जाता। यहां के कई क्षेत्र अपनी एक समृद्ध कहानी बयां करते हैं, ऐसी ही कई रोचक कहानियां मध्यप्रदेश के चंबल में रची बसी हैं। अगर आप कभी चंबल गए हों तो आपको पता होगा कि यहां की वीरानियों में भी कई कहानियां हैं,चंबल यू हीं नहीं अपनी गाथा सुनाता। चंबल की गाथाओं में से एक है मुरैना का 64 योगिनी मंदिर, जिसका संबंध भारतीय संसद से भी है। अगर कभी इसके इतिहास को झांकने की कोशिश करेंगे तो इसका रहस्य आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाएगा।

खगोलीय और ज्योतिष विद्या का था घर

ग्वालियर शहर से कुछ दूर चलने पर बीहड़ क्षेत्र का अहसास अपने आप ही होने लगता है। ग्वालियर से लगभग 34 किलोमीटर का सफर तय करने पर जब आप मितावली पहुंचते हैं तो और यही शुरू होती है एक रहस्यमयी यात्रा। एक ऐसी यात्रा जो आपको 13वीं शताब्दी में ले जाती है। गणित, खगोलीय और ज्योतिष विद्या से जोड़ती है। तंत्र-मंत्र और साधना की कहानियां सुनाती है। ये बताती है कि चौसठ योगिनी मंदिर (Chausath Yogini) का अस्तित्व आज भी है। जिसे न तो मुगलों ने सहेजने की कोशिश की और न ही अंग्रेजों ने उजागर की।

महादेव हैं विराजे

चौसठ योगिनी (Chausath Yogini) मंदिर को स्थानीय लोग एकत्तार्सो महादेव मंदिर कहते हैं। मंदिर 100 फीट की ऊंचाई पर है। इसे पहली बार देखने पर आपको एकबारगी लगेगा कि आप भारतीय संसद को देख रहे हैं। वही नक्काशी, वैसे ही स्तंभ, हूबहू गोलाकार आकृति और भारतीय संस्कृति की विशिष्ट छाप आपको ये सोचने पर मजबूर कर देगी कि 13वीं शताब्दी का ये मंदिर 1927 में बनें पुराने संसद भवन की प्रेरणा कैसे नहीं हो सकती। ये बात अलग है कि इस बात का जिक्र न तो किताबों में है न ही किस्से-कहानियों में है। जो लोग इस मंदिर के बारे में नहीं जानते वो संसद के डिजाइन बनाने वाले लुटियंस का बखान करते नहीं थकते।

कच्छप राजा ने कराया था निर्माण

चौसठ योगिनी मंदिर (Chausath Yogini) के बारे में जानने के लिए इसके इतिहास के पन्नों को पलटना बेहद जरूरी है। ये अदुभुत मंदिर हर कदम पर कुछ कहता है। कभी खगोलीय और ज्योतिष शास्त्र के यूनिवर्सिटी के रूप में स्थापित इस मंदिर को कच्छप राजा देवपाल ने बनवाया था। यहां तंत्र-मंत्र और साधना के साक्ष्य आज भी दिखाई देते हैं। मंदिर में मिली शिलालेख कहती है, चौसठ योगिनी मंदिर सूर्य के गोचर पर आधारित है जिसका अर्थ है सूर्य का किसी विशेष राशि में प्रवेश होना। जिसकी गणना के बाद शुभ-अशुभ समय को देखकर विशेष कार्य किया जाता है। बेशक मंदिर के निर्माण में इस विधा का इस्तेमाल किया गया होगा।

अनुपम वास्तुकला

100 फीट की ऊंचाई पर बने चौसठ योगिनी मंदिर की वास्तुकला अद्भुत और कल्पना से परे है, ये मंदिर हिंदू वास्तुकला शैली में निर्मित है। जिसके शानदार आर्टवर्क, बेजोड़ नक्काशी, बेस्ट इंजिनियरिंग और अपनी ओर खीचने वाली ऊर्जा के कॉम्बिनेशन को आप यहां महसूस कर सकते हैं।

योगिनियों की कहानी से जुड़ा है मंदिर

गोल आकृति में 101 खंभों पर टिके हुए इस मंदिर में 64 कमरे बने हैं। सभी चौसठ कमरों में एक-एक शिवलिंग और योगनियां स्थापित थीं। संभवत: इसीलिए मंदिर का नाम 64 योगिनी रखा गया होगा। योगिनी की मूर्तियों को समय-समय पर नुकसान पहुंचाया गया कुछ योगिनियों की मूर्तियां चोरी हो चुकी है, जिसकी वजह से योगनियों की मूर्तियों को दिल्ली में संरक्षण के लिए रखा गया है।

मंदिर की दीवारों पर प्राचीन देवी-देवताओं की मूर्तियां आपको जीवंत लगेंगी। इस मंदिर के बीचो-बीच एक खुले मंडप को इस तरह से बनाया गया है जैसे कि किसी कहानी को सुनाने के लिए एक मंच जरूरत हो। इस मंडपनुमा मंदिर में विशाल शिवलिंग स्थापित है।

Positive सार

चौसठ योगिनी मंदिर (Chausath Yogini) ने कई काल देखे, मौसम के मार झेले, आक्रांताओं के आक्रमण और लूटपाट झेले, भूकंप के कई झटके झेले, बावजूद इसके ये मजबूत आवरण लिए सशक्त होकर खड़ा है जैसे महादेव खुद इस संरचना की रक्षा कर रहे हों। मंदिर के बाहर से हर दिशा में चंबल का विस्तार नजर आता है। यहां होना एक विशिष्ट अनुभव है। ये हमारे महान तीर्थ है जो अपनी गाथा कहने के लिए खुद खड़े हैं।

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Rishita Diwan

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