Zero Budget Farming खेती की पारंपरिक विधि है, जिसके कई लाभ हैं। पर खेती की नई तकनीक और खेती के व्यवसायीकरण से अब जीरो बजट फार्मिंग (Zero Budget Farming) खत्म होती जा रही है। पर आपको जानकर हैरानी होगी कि खेती की यह विधि कई तरह से लाभदायक है।
जीरो बजट फार्मिंग (Zero Budget Farming)
जीरो बजट फार्मिंग (Zero Budget Farming) बिना खुद की जेब से खर्च लगाए कृषि उपज पाने का एक तरीका है। जीरो बजट फार्मिंग (Zero Budget Farming) ऑर्गेनिक फार्मिंग की तरह ही होता है, लेकिन यह एक-दूसरे से अलग है। दरअसल नेचुरल फार्मिंग जीरो बजट फार्मिंग होती है। इसे कई तरीके से किया जा सकता है। भारत में अलग-अलग इलाकों में किसान जीरो बजट फार्मिंग कर रहे हैं। खेती के इस तरीके में अगर किसान की मेहनत को अलग कर दिया जाए तो इसमें किसान की लागत शून्य होती है, यही वजह है कि इसे जीरो बजट फार्मिंग कहा जाता है।
पर्यावरण के लिए भी लाभदायक जीरो बजट फार्मिंग (Zero Budget Farming)
जीरो बजट फार्मिंग (Zero Budget Farming) में किसान को कृषि उपज पाने के लिए किसी तरह के केमिकल और फर्टिलाइजर का इस्तेमाल नहीं करता है। जीरो बजट फार्मिंग (Zero Budget Farming) में पशुपालन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसमें देसी गाय के गोबर और मूत्र से खेती की जाती है।
इस खेती को वह किसान भी कर सकता है जिसके पास एक गाय है और थोड़ी सी जमीन है। देसी गाय के गोबर से खाद बनाई जाती है, वहीं गाय के मूत्र, गोबर और कई तरह की पत्तियों के मिश्रण से कीटनाशक बना तैयार किया जाता है। बीज के लिए किसान अपने पिछले वर्षों के एकत्रित किए गए बीजों का इस्तेमाल करता है। जीरो बजट फार्मिंग (Zero Budget Farming) का उद्देश्य लाभ कमाना नहीं बल्कि कृषि लागत को शून्य रखना होता है। किसी-किसी क्षेत्र में नेचुरल फ़ार्मिंग में खेत की जुताई भी नहीं की जाती है।
जीरो बजट फार्मिंग से फायदा
इससे खेती पर आने वाली लागत लगभग शून्य होती है।
जीरो बजट फार्मिंग (Zero Budget Farming) से उगाई गई फल और सब्जियां में मिलावट नहीं होती।
देसी गाय है तो उसका गोबर और मूत्र दोनों ही जीरो बजट फार्मिंग (Zero Budget Farming) में फायदा देने वाला है।
पेस्टिसाइट और केमिकल युक्त खाद से मिट्टी के उर्वरा शक्ति को बचाया जा सकेगा।