दुनियाभर में नारियल काफी पसंद किया जाने वाला फल है। विशेष गुणों वाले नारियल की खेती में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर है। यानि की विश्व को नारियल उपलब्ध कराने के मामले में हमारा देश अग्रणी है। कुछ साल पहले केंद्र सरकार ने दुनियाभर में भारतीय नारियल (Coconut Farming) के कारोबार को बढ़ावा देने के लिए नारियल एक्ट में संशोधन की घोषणा की थी।
भारतीय नारियल बाज़ार
नारियल की खेती (Coconut Farming) के मामले में अग्रणी भारत विदेशी व्यापार को आकर्षित कर रहा है। भारतीय नारियल एक्ट से जुड़े नियम कानूनों को आसान करना विश्व के लिए भारतीय नारियल बाजार के दरवाजे खोल देगी। आजकल नारियल के रेशों से बनें उत्पाद जैसे कॉयर पिथ, टफ्ड मैट, जियो टेक्सटाइल्स, रग्स, कालीन, मैट, पॉवर लूम जैसे भारतीय उत्पादों की मांग ई-कॉमर्स वेबसाइट्स में बढ़ी है। पौष्टिक तत्वों की भरपूर मात्रा होने की वजह से खाद्य तेलों के रूप में भी भारत से नारियल के तेल विदेशों को निर्यात किए जा रहे हैं। नारियल के तेल में नेचुरल एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल तत्व होते हैं, जो त्वचा के फंगस और इंफेक्शन जैसी परेशानियों को दूर करते हैं। और यही वजह है कि ब्यूटी प्रोडक्टस में भी नारियल के तेल का उपयोग बहुतायत रूप से होता है। अब सरकार की योजना है कि ब्यूटी प्रोडक्ट्स के लिए भी भारतीय नारियल बाजार की ओर मल्टीब्रांड कंपनियों ओर आकर्षित किया जाए।
भारत में नारियल उद्योग
साल 2014 से लेकर अब तक नारियल की कृषि में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। जारी रिपोर्ट कहती है कि देश में लगभग 19 लाख 75 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में नारियल की खेती होती है, जबकि पूरे देश में 2 लाख 439 लाख फलों का उत्पादन होता है। भारत का दक्षिणी क्षेत्र नारियल उत्पादन (Coconut Farming) के मामले में अव्वल है। देश के कुल नारियल उत्पादन में केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक की हिस्सेदारी लगभग 85 फीसदी है। इन राज्यों के अलावा आंध्रप्रदेश, अंडमान और ओडिशा भी नारियल उत्पादन में अपनी भागीदारी को सुनिश्चित करते हैं।
नारियल की खेती से कमाई
भारत के दक्षिणी क्षेत्रों में लगभग 300 साल पहले नारियल की खेती की शुरूआत हुई। दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों से समुद्र के रास्ते भारतीय तटीय इलाकों में नारियल पहुंचा था। आज विश्व के लगभग 90 से ज्यादा देशों में नारियल की पारंपरिक और वैज्ञानिक खेती होती है। वैश्विक स्तर पर सालाना नारियल का उत्पादन लगभग 55 मिलियन टन है। इंडोनेशिया और फिलीपींस के बाद भारत दुनिया में नारियल उत्पादन के मामले में तीसरे नंबर पर अपनी पहचान रखता है। देश के जीडीपी में नारियल का योगदान 2 हजार 200 करोड़ रुपए के करीब है और लगभग एक करोड़ से अधिक आबादी अपनी आजीविका के लिए नारियल की खेती पर निर्भर है। नारियल उत्पादन में वृद्धि की बदौलत ही हम नारियल के उत्पादों के निर्यात के मामलों में भी बढ़ोतरी दर्ज कर रहे हैं। अप्रैल 2017 से ही भारत मलेशिया, इंडोनेशिया और श्रीलंका को नारियल तेल का निर्यात कर रहा है। जबकि इसके पहले तक भारत नारियल तेल के लिए आयात पर निर्भर था। साथ ही अब अमेरिका और यूरोपीय देशों को बड़ी संख्या में सूखा नारियल भी निर्यात किया जा रहा है।
नारियल पैदावार बढ़ाने सरकार के कदम
किसानों के फायदे कि लिए 1981 में नारियल बोर्ड की स्थापना की गई थी। अब नारियल एक्ट में संशोधन से सरकार किसानों को ज्यादा फायदा पहुंचा रही है। वर्तमान में नारियल बोर्ड कृषि मंत्रालय के अधीन है। बोर्ड की स्थापना 1981 में हुई थी।
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भारत में करीब 450 नारियल प्रोसेसिंग यूनिट है। जिससे प्रति वर्ष 242 करोड़ नारियल की प्रोसेसिंग की जाती है। नारियल से किसानों की आय बढ़ाने के लिए 2021 सीजन के लिए कोपरा के नए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को मंजूरी दे दी गई है। पहले की अपेक्षा किसान प्रति क्विंटल इसमें 300 से 375 रुपये की ज्यादा कमाई करेंगे। कोपरा की एमएसपी बढ़ाए जाने से एक करोड़ नारियल किसानों को इसका प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभ पहुंचने की उम्मीद है।