धान का कटोरा के नाम से प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ राज्य अब देश को बाजरा की आपूर्ति कराएगा। और इसीलिए छत्तीसगढ़ राज्य में ‘MILET MISSION’ को लॉच किया गया है। राज्य का यह लक्ष्य है कि वह 2023 तक भारत के बाजरा हब के रूप में अपनी पहचान स्थापित करे। इसके लिए राज्य सरकार ने अपने 14 जिलों और भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद (Indian Institute of Millet Research- IIMR) के साथ मिलकर ओएमयू साइन किया है। दरअसल यूनाइटेड नेशन्स ने 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में घोषित किया है, जो कि एक भारत-प्रायोजित संकल्प था। जिसे मार्च 2021 में 70 से ज्यादा देशों का समर्थन मिला था।
क्यों हुई है बाजरा मिशन की शुरूआत ?
बाजरा को पोषक-अनाज कहा जाता है और यह पोषण से भरपूर होती हैं। साथ ही शहरी क्षेत्रों में अच्छी कीमतों पर बेची जाती है। इनमें ज्वार, बाजरा, रागी और छोटे-मोटे अनाज होते हैं। बाजरा के गुणों की वजह से भारत और विदेशों में इनकी बढ़ती मांग को देखते हुए बाजरा की पैदावार बढ़ाने के लिए इस मिशन की शुरूआत की गई है। छत्तीसगढ़ के लगभग 20 जिलों में कोदे, कुटकी और रागी फसलों का उत्पादन होता है। इनमें से ज्यादातर जिले वनांचल क्षेत्रों में आते हैं। बेहतर तकनीक और फसलों की मांग से जुड़ी जानकारी के अभाव में किसानों को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा था। लेकिन अब बाजरा मिशन की शुरूआत से छत्तीसगढ़ के किसानों की आय में वृद्धि होगी। आदिवासी क्षेत्रों में बाजरा प्रसंस्करण से किसानों युवाओं और महिला समूहों को रोजगार मिलेगा।
बाजरा मिशन से क्या लाभ होगा?
• मिशन के तहत छोटी अनाज फसलों का सही मूल्य मिलेगा।
• IIMR किसानों को तकनीकी जानकारी और फसल से संबंधित प्रशिक्षण प्रदान करेगी।
• इस मिशन से राज्य के वन क्षेत्र और आदिवासी क्षेत्रों में किसानों की आय में वृद्धि होगी।
• छत्तीसगढ़ को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी।
भौतिक विविधताओं से परिपूर्ण छत्तीसगढ़ कृषि के क्षेत्र में काफी समृद्ध है। लेकिन पोषण से भरपूर बाजरे के लिए उपयोगी फसलों की कम जानकारी, उनकी खेती की एडवांस तकनीक से अनजान होना और वैश्विक बाजार में बढ़ रही बाजरे की मांग के बारे में पता नहीं होने से किसानों को काफी नुकसान हो रहा था। बाजरा मिशन से ऐसे किसानों की राह आसान होगी जिनकी जमीन मोटे फसलों के लिए अनुकूल है।