Agri-tech: मल्टीपल ग्रेन प्रोडक्ट भारत की पहचान है। एक ही जगह पर अलग-अलग फसलों का लुत्फ आप भारत में उठा सकते हैं, वजह है कृषि अनुकूल भारत का मौसम। भारत की 90 फीसदी आबादी ग्रामीण आबादी है, वहीं लगभग 75 फीसदी भारतीय कृषि प्रधान रोजगार या व्यवसाय से जुड़े हैं यानी कि प्राकृतिक रूप से हम कृषि के क्षेत्र में काफी दक्ष हैं। ऐसे में कृषि में नवाचारों (Innovation) को अपनाने में हम भारतीय भला पीछे कैसे रह सकते हैं। यही वजह है कि वर्तमान समय में किसान खेती में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर खेती को नया रूप दे रहा है। इससे जहां किसानों की आमदनी में वृद्धि हुई है वहीं खेती से भारतीय अर्थव्यवस्था को भी नई ऊंचाईयां मिली है। इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि कैसे भारतीय किसान खेती में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर नई ऊंचाईयों को छू रहा है…..
अगर देखा जाए तो हाल के वर्षों में सरकार की प्रेरक कृषि नीतियों ने एग्रीटेक उद्योग को नई ऊंचाइयां दी है, इसमें वाहन, रोबोटिक्स, कंप्यूटर, उपग्रह, ड्रोन, मोबाइल उपकरण, सॉफ्टवेयर आदि विभिन्न विषय और उपकरण शामिल हैं। भले ही हमारी कृषि पारंपरिक हो पर यह उभरता क्षेत्र भी है, क्योंकि इसमें राष्ट्रीय नियोजित कार्यबल का 43% शामिल हो चुका है। साथ ही 2 हेक्टेयर से कम भूमि वाले छोटे भूमि धारक, जो सभी किसानों के लगभग 86% हैं उन्हें जीवित रहने के लिए प्रौद्योगिकी की आवश्यकता है।
दुनिया का खाद्य आपूर्ति केंद्र बना भारत
ये बात काफी सुखद अनुभूति देती है कि भारत के कृषि क्षेत्र में इतनी सक्षमता है कि कई कृषि उत्पाद के लिए हम किसी पर भी निर्भर नहीं हैं। वहीं कृषि-प्रौद्योगिकी नवाचार में भारत को वास्तव में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनाने के लिए, अटल इनोवेशन मिशन, नीति आयोग और संयुक्त राष्ट्र पूंजी विकास कोष ने संयुक्त रूप से एक श्वेतपत्र को भी लॉच किया गया है। इसके द्वारा कृषि-प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप्स द्वारा सामना की जा रही चुनौतियों को दूर करने के लिए कार्य किया जा रहा है। वहीं सरकार के द्वारा कृषि के क्षेत्र में उठाए जा रहे कदम काफी महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं, इसका असर यह हुआ है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत दुनिया के लिए खाद्य आपूर्ति का केंद्र भी बना है। कृषि प्रौद्योगिकी का उपयोग कर हमने गेंहूं जैसे और दूसरे अनाजों के प्रोडक्शन को बढ़ाया है। साथ ही पड़ोसी राज्यों को मुसीबत के समय खाद्य आपूर्ति कर वैश्विक स्तर पर मिसाल भी बने हैं।
प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल और कृषि
प्रौद्योगिकियों में प्रगति के कारण आधुनिक कृषि पहले की तुलना में बहुत ही अलग तरह से की जा रही है। आज की कृषि को परिष्कृत तकनीकों जैसे रोबोट, तापमान और नमी सेंसर, हवाई चित्र, जीपीएस तकनीक, ड्रोन आदि की जरूरत होती है। ये एडवांस टेक्नीक्स और सटीक प्रणालियां किसानों और व्यवसायों को अधिक लाभदायक, कुशल, अनुमानित और पयार्वरण के अधिक अनुकूल बनाती हैं। प्रौद्योगिकी न केवल उच्च फसल उत्पादकता को पूरा करती है, बल्कि पानी, उर्वरक और कीटनाशकों के कम इस्तेमाल के लिए भी प्रेरित करती है। इसका फायदा यह हुआ कि खाद्य कीमतें नियंत्रण में रहती है। यह नदियों और भूजल में रसायनों के कम अपवाह को भी सुनिश्चित करने का कार्य करती हैं।
AI और इंटरनेट ने किसानों का काम किया आसान
भारतीय कृषि एक कदम आगे बढ़कर कार्य कर रही है। देश ने कृषि में इंटरनेट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करते हुए नए आयाम तय किए हैं। इनकी वजह से सटीक खेती, कृषि ड्रोन और होपिंग सिस्टम पशुधन निगरानी, जलवायु परिस्थितियों की निगरानी, स्मार्ट ग्रीनहाउस, एआई और आईओटी आधारित कंप्यूटर इमेजिंग जैसी सुविधाएं किसानों को मिली हैं। नवाचार और कृषि उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए पांच नॉलेज पार्टनर्स और 24 एग्रीबिजनेस इनक्यूबेटर्स को भी इस प्रक्रिया में जोड़ दिया गया है।
वर्तमान में भारतीय खाद्य अर्थव्यवस्था लगभग 800 बिलियन डॉलर के करीब है। हाल के वर्षों में जिस तरह से कृषि-प्रौद्योगिकी उद्योग कृषि के क्षेत्र को सहायाता प्रदान कर रहा है, उससे उम्मीद की जा रही है कि खाद्य अर्थव्यवस्था केवल कुछ वर्षों में एक ट्रिलियन डॉलर को पार कर देगी। खाद्य अर्थव्यवस्था का महत्व इस तथ्य में भी शामिल है कि 6 लाख से अधिक गांवों के लगभग 15 करोड़ किसान 1.4 बिलियन से अधिक लोगों को खिलाने के लिए भोजन का सृजन करते हैं और लगभग 50 बिलियन के फसलों का निर्यात भी करते हैं। तो नि:संदेह यह कहा जा सकता है कि कृषि-प्रौद्योगिकी उद्योग भारतीय कृषि को नई ऊंचाईयों की तरफ ले जा रहा है।